उसूले दीन में अद्ल को तौहीद के बाद शुमार किया जाता है। अद्ल से मुराद यह है कि अल्लाह आदिल (इंसाफ़ वाला) है और किसी पर ज़ुल्म नही करता। ख़ुदा वंदे आलम अद्ल, नबुव्वत, इमामत, क़यामत, जज़ा (ईनाम) व सज़ा, अहकाम की हिकमतों और तमाम कामों से मुतअल्लिक़ है लिहाज़ा अगर ख़ुदा के अदल को न माना जाये को बहुत से इस्लामी मसायल हल नही हो पायेगें।
अदले ख़ुदा का मतलब
अद्ले ख़ुदा के बहुत से मअना बयान हुए हैं जिन में से बाज़ यह हैं:
1. ख़ुदा आदिल है यानी वह हर ऐसे काम से पाक है जो मसलहत और हिकमत के बर ख़िलाफ़ हो।
2. ख़ुदा आदिल है यानी उस की बारगाह में तमाम इंसान बराबर हैं और अमीर ग़रीब, गोरे काले, आलिम जाहिल, वग़ैरह सब एक जैसे हैं, बड़ाई का पैमाना और मेयार सिर्फ़ तक़वा और परहेज़गारी है। क्यो कि क़ुरआने मजीद में इरशाद होता है:
ان اکرمکم عندالله اتقاکم
बेशक ख़ुदा के नज़दीक तुम में से सब से ज़्यादा इज़्ज़त और फ़ज़ीलत वाला वह है जो सब से ज़्यादा मुत्तक़ी (परहेज़गार) हो। (सूर ए हुजरात आयत 13)
3. ख़ुदा आदिल है यानी किसी के ज़र्रा बराबर अमल को भी बेकार नही जाने देता। क़ुरआने मजीद में इरशाद है:
فمن یعمل مثقال ذرة خیرا یره ومن یعمل مثقال ذرة شرا یره
जो ज़र्रा बराबर भी नेकी करेगा उस की जज़ा (ईनाम) पायेगा और जो ज़र्रा बराबर भी बुराई करेगा उस की सज़ा पायहगा।