लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान
किताब का नाम: तोबा आग़ोश
अशीष मे फ़िज़ूलख़र्ची अपव्यय है के भाग 2 मे हमने कुरआन के दो छंद बयान किये थे जिस मे से एक मे लोगो पर अत्यचार, उनके हक़ की लूटमार, समाज को भयभीत और लोगो को बंधक करने हेतु जो लोग अपने पद, स्थान और प्राधिकार का प्रयोग करते है उनको क़ुरआन ने पृथ्वी पर विद्रोही एवं अपव्यय करने वाला, और दूसरे छंद मे जो लोग स्त्रियो को छोड़कर पुरूषो से यौन सम्बंध बनाते है उनको अपव्यय समाज बताया है।
जिन लोगो ने विनम्रता की भावना, अपवर्तन, ख़ाकसारी के साथ ईश्वरदूतो और उनके चमत्कारो (मोज्ज़ो) के सामने आत्मसमर्पण किया, और क़ुरआन, प्रमाणो (सबूतो), दलीलो और स्पष्ट तर्को (बुरहान) के होते हुए हक़ से आँखो को बंद कर लिया तथा घमंड और हेकड़ी एवं अख्खडपन को हक़ के विरूद्ध अपनाया, ऐसे व्यक्तियो के लिए क़ुरआन कहता हैः
ثُمَّ صَدَقْنَاهُمُ الْوَعْدَ فَأَنجَيْنَاهُمْ وَمَن نَّشَاءُ وَأَهْلَكْنَا المُسْرِفِينَ
सुम्मा सदक़्नाहोमुल्वादा फ़अनज्यनाहुम वमन नशाउ वअहलक्नल मुसरिफ़ीना[1]
हमने (ईश्वर ने) नबियो (अपने दूतो) को जो वचन दिया था उसको पूरा किया, तथा उन्हे और उनके साथ जिसे चाहा उसे शत्रुओ के षडयंत्र से बचा लिया, और अपव्यय (इसराफ़) करने वालो का सार्वकालिक विनाश किया।