तेहरान में आतंकवाद से संघर्ष के नाम से दूसरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन शनिवार को सुबह आरंभ हुआ। सम्मेलन के आरंभ में इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनई का संदेश पढ़कर सुनाया गया। इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने अपने संदेश में साम्राज्यवादी शक्तियों की आतंकवादी गतिविधियों के लम्बे अतीत का हवाला देते हुए कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान इस शैतानी अभिषाप से संघर्ष को अपरिहार्य कर्तव्य समझता है और इस महा युद्ध में अपने प्रयासों को पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ाता रहेगा। इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने आतंकवाद के संदर्भ में इस कटु सच्चाई का भी उल्लेख किया कि विश्व शक्तियां आतंकवाद को अपने अवैध लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए हथकंडे के रूप में प्रयोग कर रही हैं। वरिष्ठ नेता ने इस बिंदु को भी विशेष रूप से रेखांकित किया कि अमरीका ब्रिटेन तथा कुछ अन्य पश्चिमी देश आतंकवादी गतिविधियां करने के बावजूद आतंकवाद से संघर्ष के दावे भी करते हैं जबकि इस्लामी क्रान्ति की सफलता के आरंभिक वर्षों में जिन आतंकवादियों ने हज़ारों लोगों का जनसंहार किया और एसी ही एक घटना में ईरान की 72 राजनैतिक हस्तियां तथा वरिष्ठ अधिकारियों का जनसंहार किया गया और एक अन्य घटना में ईरान के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को शहीद कर दिया गया, उन्हीं आतंकवादियों को इस समय यूरोपीय सरकारों और अधिकारियों का समर्थन प्राप्त है और वे उन्हीं के संरक्षण में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। अमरीका तथा उसकी अनुयायी यूरोपीय सरकारें फ़िलिस्तीन के संघर्षकर्ता संगठनों को जो अपनी भूमि को स्वतंत्र कराने के लिए लड़ रहे हैं आतंकवादी कहती हैं, जबकि अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान तथा इराक़ में असहाय जनता का संहार, बम धमाके करने वाले संगठनों की सहायता, ईरान में मोसाद के सहयोग से परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या, फ़ार्स की खाड़ी में ईरान के यात्री विमान को ध्वस्त करके लगभग तीन सौ बच्चों महिलाओं और पुरुषों की हत्या आतंकवाद के समर्थन में अमरीका की शर्मनाक और कभी न भुलाई जाने वाली कार्यवाहियों की लम्बी सूचि का एक भाग है। तेहरान में आयोजित सम्मेलन में राष्ट्रपति अहमदीनेजाद ने भी भाषण दिया। उन्होंने आतंकवाद के मूल कारणों के बारे में प्रश्न उठाते हुए कहा कि आतंकवाद से किन लोगों को लाभ पहुंच रहा है और इससे किसको हानि पहुंच रही है? उन्होंने पश्चिम की दोहरी नीति को भी आतंकवाद के मूल कारणों में गिना। अनेक साक्ष्यों से यह सिद्ध होता है कि पश्चिमी देशों ने क्षेत्र तथा विश्व के स्तर पर अपने अवैध लक्ष्य साधने के लिए आतंकवाद के उपयोग को अपनी स्थायी रणनीति बना लिया है। स्पष्ट शब्दों में इस प्रकार कहना चाहिए कि आतंकवाद की जड़ें इस अभिषाप के संबंध में पश्चिम की दोहरी नीतियों में निहित हैं और यही कारण है कि उनकी ओर से आतंकवाद के विरुद्ध कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जाती। निश्चित रूप से आतंकवाद से संघर्ष के लिए संयुक्त अंतर्राष्ट्रीय समझ और संकल्प की आवश्यकता है। इस संदर्ह में एक बड़ी रुकावट आतंकवाद के संबंध में ग़लत परिभाषा है जो अपने आप में आतंकवाद की जड़ भी है। यही कारण है कि इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने अपने संदेश में कहा कि आतंकवाद से संघर्ष के दूसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण काम आतंकवाद की स्पष्ट एवं सटीक परिभाषा निर्धारित करना है।
हरान में आतंकवाद से संघर्ष के नाम से दूसरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन शनिवार को सुबह आरंभ हुआ। सम्मेलन के आरंभ में इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनई का संदेश पढ़कर सुनाया गया।