पुस्तक का नामः पश्चताप दया का आलंगन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान
हमने इस से पूर्व के लेख मे यह बात स्पष्ट की थी के शैतान ने ईश्वर के आदेश का पालन नही किया जिसके कारण ईश्वर ने उसको अपने धर्मस्थल से यह कहकर के तू आज्ञाकारी नही है निकाल दिया क्योकि उसने घमंड किया था इस लेख मे हम आप के अध्ययन मे इज़ाफ़े हेतु कुरान के एक छंद से यह सिद्ध करेगे कि मानव को घमंड से बचना चाहिए।
क़ुरआन ने ईश्वर के आदेश के विरूद्ध शैतान की पस्ती, दुख, क्रूरता को उसके घमंड का कड़वा फ़ल जानता है, पस्ती, हलाक होने तथा दिव्य धर्मस्थल से निकलने का कारण घमंड बना। इस आधार पर मानव को घमंड से बचना चाहिए कि यह शैतानी चाल ईश्वर के आदेश का पालन करने से रोकती है।
पवित्र क़ुरआन हजरत आदम और उनकी पत्नि के बारे मे कहता हैः
قَالاَ رَبَّنَا ظَلَمْنَا أَنْفُسَنَا وَإِن لَمْ تَغْفِرْ لَنَا وَتَرْحَمْنَا لَنَكُونَنَّ مِنَ الْخَاسِرِينَ
क़ाला रब्बना ज़लमना अनफ़ोसना वइन लम तग़फ़िरलना वतरहमना लनकुनन्ना मिनल ख़ासेरीना[१]
दोनो (आदम और उनकी पत्नि) ने कहाः हे ईश्वर हमने अपने ऊपर अत्याचार किया, यदि तूने हमे क्षमा नही किया और हम पर अपनी कृपा नही की तो हम घाटा उठाने वालो मे से हो जाएंगे।
जारी