पुस्तक का नामः पश्चाताप दया का आलंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
अब्दुल आला मौला आले साम कहता है कि मैने इमाम सादिक अलैहिस्सलाम को कहते हुए सुनाः
एक सुन्दर महिला जो अपने सौन्दर्य के कारण संसार मे दुष्कर्म का शिकार हुई उसे क़यामत मे परमेश्वर की अदालत मे लाया जाएगा, वह कहेगीः कि परमेश्वर तूने मुझे सुंदर बनाया, ताकि मै अपने सौन्दर्य के माध्यम से मिलू उस समय हजरत मरयम[1] सलामुल्लाहेअलैहा को हाज़िर किया जाएगा तथा उस महिला के उत्तर मे कहा जाएगाः तू बेहतर है अथवा मरयम? हमने मरयम को बेहतर बनाया किन्तु उसने स्वयं को दुष्कर्म से सुरक्षित रखा ! एक सुंदर जवान को लाते है जिसने दुनिया मे उत्पीड़ना (दुष्कर्म) का सामना किया, उसने कहाः ईश्वर ! मुझे सुंदर बनाया मैने महिलाओ को इसी सुंदर चेहरे से देखा। उस समय युसुफ़ को लाते है तथा उस सुंदर जवान के उत्तर मे कहा गयाः तू अधिक सुंदर है या युसुफ़? मैने युसुफ़ को सुंदर बनाया किन्तु वह सुंदरता के कारण दुष्कर्मो मे गिरफ़्तार नही हुआ। बलाओ मे गिरफ़्तार व्यक्ति को लाते है जो बलाओ मे घिरने तथा धैर्य ना रखने के कारण दुष्कर्म मे पकडा गया, कहता हैः हे ईश्वर ! बला का सहन करना मेरे लिए कठिन था, मै अपने सन्यम एंव क्षमता को खो बैठा और दुष्कर्म मे गिरफ़्तार हो गया। अय्यूब[2] (अलैहिस्सलाम) को लाते है और बलाओ मे घिरे व्यक्ति तक ले जाते है तथा प्रश्न करते हैः कि तेरी बला कठिन थी या अय्यूब की? अय्यूब भी बलाओ मे घिरे है किन्तु वह दुष्कर्मो मे नही फसे[3]।