पुस्तक का नामः पश्चाताप दया का आलंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
इसके पहले वाले दो लेख मे हमने पापो के बुरे प्रभाव हज़रत इमाम ज़ैनुलआबेदीन अलैहिस्सलाम के विस्तृत कथन मे प्रस्तुत करने का सफ़ल प्रयत्न किया तथा इस लेख मे भी आप को पापो के बुरे प्रभाव हज़रत इमाम ज़ैनुलआबेदीन अलैहिस्सलाम के विस्तृत कथन मे शेष पापो का अध्ययन करने का अवसर मिलेगा।
शत्रु के विजय होने वाले पापः खुल्लम खुल्ला अत्याचार करना, अपने पापो का वर्णन करना, अवैध वस्तुओ को वैध समझना, नेक एंव अच्छे मनुष्यो की आज्ञा का पालन न करना तथा बदकारो की आज्ञा का पालन करना।
आयु मे कमी करने वाले पापः आपसी मेल जोल का समाप्त करना, झूठी क़सम खाना, झूठी बाते करना, बलात्कार करना, मुसलमानो का मार्ग बंद करना, इमामत का झूठा दावा करना।
आशा तोड़ने वाले पापः ईश्वर की दया एंव कृपा से निराश होना, ग़लत (नाहक़) पर भरोसा करना, और परमात्मा के वचनो को नकारना।
मनुष्य के विवेक (ज़मीर) को अंधा (तारीक) करने वाले पापः जादू टोना और अनदेखी (ग़ैब) की बाते करना, सितारो को प्रभाविक करने वाला मानना, क़ज़ा और क़दर को झुठलाना, माता पिता का कृतध्नत (वंचित) होना।
सम्मान का पर्दा उठाने वाले पापः वापस न करने के उद्देश्य से ऋण लेना, अपव्यय (फ़ज़ूल खर्ची) करना, परिवार एंव समबंधियो पर खर्च करने मे लोभ करना, बुरे आचरण से पेश आना, धैर्य न करना, धीरज न रखना, स्वयं को आलसी जैसा बनाना तथा धार्मिक लोगो को छोटा समझना।
प्रार्थना अस्वीकार होने वाले पापः बुरा उद्देश्य रखना, भीतर से बुरा होना, धार्मिक भाईयो के साथ पाखंड करना, प्रार्थना के स्वीकार न होने का यक़ीन रखना, नमाज़ का समय समाप्त होने तक नमाज पढ़ने मे देरी करना, अच्छे एंव दान को त्याग कर दिव्य निकटता को त्यागना तथा बात चीत के मध्य अनुचित शब्दो का प्रयोग करना और अशोभनीय बाते करना।
जारी