पुस्तक का नामः पश्चाताप दया की आलिंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारियान
पवित्र क़ुरआन मे पश्चाताप शब्द तथा उसके दूसरे व्युत्पाद (संजात) लगभग 87 बार आए है, जिस से इस समस्या (मुद्दे) का महत्व एंव महानता स्पष्ट हो जाती है।
पवित्र क़ुरआन मे पश्चाताप के संबंध मे वर्णित होने वाले विषय को पाँच भागो मे विभाजित किया जा सकता है।
1- पश्चाताप का आदेश।
2- सच्ची पश्चाताप का मार्ग।
3- पश्चाताप की स्वीकृति।
4- पश्चाताप से मुह मोड़ना।
5- पश्चाताप स्वीकार न होने के कारण।
1- पश्चाताप का आदेश
وَأَنِ اسْتَغْفِرُوا رَبَّكُمْ ثُمَّ تُوبُوا إِلَيْهِ . . .
वा अनिसतग़फ़ेरू रब्बकुम सुम्मा तूबू इलैहे...[1]
और अपने पालनहार से पश्चाताप करो तत्पश्चात उसकी ओर ध्यान केंद्रित करो...।
وَتُوبُوا إِلَى اللَّهِ جَمِيعاً أَيُّهَا الْمُؤْمِنُونَ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُونَ
... तूबू एलल्लाहे जमीअन अय्योहल मोमेनूना लाअल्लकुम तुफ़लेहून[2]
पश्चाताप करते रहो शायद इसी प्रकार तुम्हे भलाई एंव मोक्ष प्राप्त हो जाए।