पुस्तकः पश्चाताप दया की आलिंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
हज़रत इमाम रज़ा ने अपने पूर्वजो के माध्यम से हज़रत रसूले अकरम सललल्लाहो अलैहे वाआलेहि वसल्लम से रिवायत करते हैः
مَثَلُ الْمُؤْمِنِ عِنْدَ اللهِ عَزَّ وَجَلَّ كَمَثَلِ مَلَك مُقَرَّب وَاِنَّ الْمُؤْمِنَ عِنْدَ اللهِ عَزَّ وَجَلَّ اَعْظَمُ مِنْ ذَلِكَ ، وَلَيْسَ شَىْءٌ اَحَبَّ اِلَى اللهِ مِنْ مُؤْمِن تائِب اَوْ مُؤْمِنَة تَائِبَة
“मसलुल मोमिने इन्दल्लाहे अज़्ज़ा वजल्ला कमस्ले मलाकिन मुक़र्रबिन वाइन्नल मोमिना इन्दल्लाहे अज़्ज़ा वाजल्ला आज़मो मिन ज़ालेका, वा लैसा शैउन आहब्बा एलल्लाहे मिन मोमेनिन ताएबिन औ मोमेनतिन ताऐबतिन”[1]
प्रभु के समीप विश्वासी व्यक्ति (आस्तिक) का उदाहरण मुक़र्रब दूत के समान है, निसंदेह ईश्वर के निकट आस्तिक व्यक्ति का सम्मान स्वर्गीदूत से भी अधिक है, परमात्मा के समीप आस्तिक तथा पश्चाताप करने वाले विश्वासी से अत्यधिक महबूब कोई वस्तु नही है।
आठवे इमाम अपने पूर्वजो के माध्यम से हज़रत रसुले ख़ुदा सललल्लाहो अलैहे वा आलेहि वसल्लम से रिवायत करते हैः
اَلتّائِبُ مِنَ الذَّنْبِ كَمَنْ لاَ ذَنْبَ لَهُ
“अत्ताएबो मिनज़्ज़म्बे कमन ला ज़म्बा लहू”[2]
पापो से पश्चाताप करने वाला उस व्यक्ति के समान है जिसने पाप ही नही किया हो।
जारी
[1] ओयूने अख़बारिर्रेज़ा, भाग 2, पेज 29, अध्याय 31, हदीस 33; जामेउल अख़बार, पेज 85, इकतालिसवाँ पाठ आस्तिक (विश्वासी व्यक्ति) की पहचान मे; वसाएलुश्शिआ, भाग 16, पेज 75, अध्याय 86, हदीस 21021
[2] ओयूने अख़बारिर्रेज़ा, भाग 2, पेज 74, अध्याय 31, हदीस 347 ; वसाएलुश्शिआ, भाग 16, पेज 75, अध्याय 86, हदीस 21022; बिहारुल अनवार, भाग 6, पेज 21, अध्याय 20, हदीस 16