पुस्तक का नामः पश्चाताप दया की आलंग्न
लेखकः आयतुल्ला हुसैन अंसारियान
सुरए तौबा की छंदो की व्याख्या मे उल्लेख हुआ है कि स्वर्गीय दूत पापी के पापो को लौहे महफ़ूज़ पर पेश करते है, परन्तु वहॉ पर पापो के स्थान पर अच्छाईया तथा नेकिया देखते है, तो फ़ौरन सजदे (अपने शीर्ष को झुका देते है) मे गिर जाते है, तथा ईश्वर के दरबार मे कहते हैः जो कुच्छ इस बंदे ने किया था हमने वही लिखा था परन्तु इस समय हम यहा पर वह नही देख रहे है उत्तर मिलता हैः सही कहते हो, परन्तु मेरा सेवक शर्मिंदा तथा प्राश्चित हुआ हो गया है और रोता तथा गिडगिडाता हुआ मेरे द्वार पर आ गया, मैने उसके पापो को क्षमा कर दिया मैने उस पर अपनी कृपा और दया निछावर कर दी मै अकरमुल अकरामीन हूँ।[1]