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Tuesday 26th of November 2024
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पापी और पश्चाताप की मोहलत

पापी और पश्चाताप की मोहलत

पुस्तक का नामः पश्चाताप दया की आलंग्न

लेखकः आयतुल्ला हुसैन अंसारियान

 

जिस समय शैतान खुदा की लानत (फिटकार) का हक़दार हुआ तो उसने प्रलय के दिन तक ईश्वर से मोहलत मांगी, अल्लाह ने कहाः ठीक है मगर यह मोहलत लेकर तू क्या करेगा? उत्तर दियाः हे पालनहार! मै अंतिम समय तक तेरे सेवको से दूर नही हूँगा, यहा तक कि वह अपने प्राणो को त्याग दे, आवाज़ आईः मुझे अपने सम्मान एंव जलाल की सौगंध, मै भी अपने सेवको के लिए अंतिम समय तक पश्चाताप के द्वार को बंद नही करूंगा।[1]



[1] रूहुल बयान, भाग 2, पेज 181

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