पुस्तक का नामः पश्चाताप दया की आलंग्न
लेखकः आयतुल्ला हुसैन अंसारियान
समकालीन समय की अनमोल तफ़सीर “अलमीज़ान” के फ़ारसी अनुवादक आदरणीय सैय्यद मुहम्मद मूसवी हमादानी ने 16 शव्वाल[1] शुक्रवार के दिन प्रातः 9 बजे इस ख़ाकसार से उल्लेख कियाः
हमादान के गंदाब क्षेत्र मे एक शराबी और दुष्ट व्यक्ति जिसका नाम अली गंदाबी था।
इस व्यक्ति का धार्मिक बातो की ओर ध्यान नही था और सदैन दुष्ट एंव पापी व्यक्तियो के साथ उठता बैठता था, परन्तु कुच्छ नैतिक बाते उसमे विशेष रूप से प्रदर्शित थी।
एक दिन अपने मित्र के साथ शहर के बेहतरीन क्षेत्र मे होटल मे चाय पीने के लिए बैठा हुआ था।
उसका स्वस्थ शरीर और सुंदर चेहरा अपनी ओर आकर्षित करता था।
मख़मलि टोपी लगाए हुआ था जो उसकी सुंदरता मे अधिक निखार ला रही थी, परन्तु अचानक उसने टोपी उतारकर पैरो के नीचे मसलने लगा, उसके मित्र ने कहाः तुम यह क्या कर रहे हो उसने उत्तर दियाः ज़रा ठहरो इतने जल्दबाज़ ना बनो, थोड़ी देर के पश्चात उसने टोपी को उठाया तथा पहन लिया और कहाः हे मेरे मित्र अभी एक जवान विवाहित महिला यहा से गई थी यदि मुझे इस टोपी के साथ देखती तो शायद यह विचार करने पर मजबूर हो जाती कि यह पुरूष तो मेरे पति से भी अधिक सुंदर है, और वह अपने पति से सूखा व्यवहार करती, किन्तु मै यह नही चाहता था कि अपनी इस चमक दमक वाली टोपी के कारण एक पति पत्नि के समबंध खराब कर दूं।
जारी
[1] शव्वाल इसलामी वर्ष का दसवा महीना है जो कि पवित्र रमज़ान के बाद आता है और इसी महीने की पहली तारीख को मुसलमान रोज़े रखने के पश्चात ईद मनाते है। (अनुवादक)