Hindi
Sunday 7th of July 2024
0
نفر 0

हज के संबंध में विशेष कार्यक्रम-२

जैसाकि आप जानते हैं ज़िलहिज महीने की दस तारीख़ को हज के संस्कार अंजाम दिये जाते हैं।  इस पवित्र उपासना के लिए विश्व के कोने-कोने से मुसलमान मक्का पहुंचते हैं।  हज़ के दौरान हाजी सऊदी अरब के दो पवित्र नगरों मक्का और मदीना में ठहरते हैं।  लाखों की संख्या मे हाजी क्रमबद्ध चरणों में मक्का और मदीना जाते हैं।  मक्के में ईश्वर का घर काबा है जबकि मदीने में पैग़म्बरे इस्लाम (स) की क़ब्र स्थित है।  मदीने को पैग़म्बरे इस्लाम का नगर भी कहा जाता है।  यह नगर पैग़म्बरे इस्लाम (स) के काल की याद दिलाता।

 

मदीना, प्रथम इस्लामी सरकार का केन्द्र रहा है।  प्राचीनकाल में इसे यसरब के नाम से भी पुकारा जाता था।  मदीना नगर मक्के के पूर्वोत्तर में 500 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  मक्के से मदीने की ओर पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद (स) के पलायन के पश्चात इसकी ख्याति में वृद्धि हुई।  वर्ष 622 ईसवी में हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्ल्लाहो अलैहे वआलेही वसल्लम पलायन करके मदीना आए थे।  उसी समय से यह नगर मुसलमानों के इतिहास का आरंभिक काल बन गया।  पवित्र नगर मदीना एक प्राचीन नगर है जिसने अब आधुनिक रूप ले लिया है यह इस्लामी इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है।

 

सन 622 ईसवी में मक्के से मदीने के पलायन से इस नगर को विशेष महत्व प्राप्त हुआ।  यह इस्लामी सरकार की प्रथम राजधानी रह चुका है।  मदीने की जानकारी वास्तव में बहुत सी इस्लामी घटनाओं की पुनरावृत्ति के समान है।  पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने मदीना पहुंचकर जो पहला काम किया वह मुसलमानों की उपासना, उनके एक स्थान पर एकत्रित होने और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए किसी स्थल का निर्धारण किया जाना था।  इस उद्देश्य से आपने एक मस्जिद का निर्माण किया।  जिस समय हज़रत मुहम्मद (स) मदीना पहुंचे उस समय वह एक छोटा सा नगर था।  वहां पहुंचकर उन्होंने कुछ नए क़ानूनों की घोषणा की।  मदीने में उन्होंने पहली बार बंधुत्व और समानता को बहुत ही सुन्दर ढंग से व्यवहारिक बनाया।  मक्के से पलायन के बाद अपने जीवन के अन्तिम समय तक पैग़म्बरे इस्लाम मदीने में ही रहे।  मक्के पर विजय प्राप्त करने वहां के उचित संचालन की व्यवस्था करने के बाद पैग़म्बरे इस्लाम (स) पुनः मदीने आ गए।

 

मदीना नगर, इस्लाम के प्रचार एवं प्रसार का केन्द्र था।  इन नगर में मौजूद मस्जिदे नबवी, मदीने का महत्वपूर्ण एवं अति पवित्र स्थल है।  मदीने का महत्व इसलिए अधिक है कि ईश्वर के अन्तिम दूत और इस्लाम के संस्थापक हज़रत मुहम्मद की पवित्र क़ब्र वहीं पर है।  उनकी क़ब्र पर बना हरे रंग का गुंबद जो गुंबदे ख़ज़राके नाम से प्रसिद्ध है, लोगों के हृदय को अपनी ओर खींचता है।  प्रत्येक मुसलमान की यह हार्दिक अभिलाषा होता है कि वह अपने जीवन में चाहे एक बार ही सही इस पवित्र नगर के दर्शन करे।  इस संबन्ध में पैग़म्बरे इस्लाम का कहना है कि जो भी मेरे जीवनकाल में मेरे या मेरी मृत्यु के पश्चात मेरा क़ब्र के दर्शन करेगा, प्रलय के दिन मेरी शरण में होगा और मैं उसकी शफाअ करूंगा।  वे कहते हैं कि जो कोई भी हज करे किंतु मेरे दर्शन न करे तो उसने मुझ पर अत्याचार किया।  एक अन्य स्थान पर पैग़म्बरे इस्लाम (स) कहते हैं कि मेरे दर्शन के लिए आने वाले लोग, उन पलायनकर्ताओं की भांति हैं जो मेरे जीवनकाल में मेरे दर्शन के लिए मदीने आया करते थे।

पवित्र नगर मदीना में पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्ललाहो अलैहे वआलेही वसल्लम की पवित्र क़ब्र के अतिरिक्त उनकी सुपुत्री हज़रत फ़ातेमा ज़हरा की भी क़ब्र है।  यह क़ब्र मदीने के मश्हूर क़ब्रिस्तान बक़ी में बताई जाती है।  इस विस्तृत क़ब्रिस्तान में पैग़म्बरे इस्लाम के कुछ पवित्र परिजनों और उनके साथियों की भी क़ब्रे हैं।  बक़ी नामक क़ब्रिस्तान में पैग़म्बरे इस्लाम के चार पौत्रों, इमाम हसन मुज्तबा, इमाम ज़ैनुल आबेदीन, इमाम मुहम्मद बाक़िर और इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिमुस्सलाम की क़ब्रे हैं।  इसके अतिरिक्त पैग़म्बरे इस्लाम (स) के चचा अब्बास, हज़रत अली अलैहिस्सलाम की माता फ़ातेमा बिंते असद और मिक़दाद बिन असवद, जाबिर बिन अब्दुल्लाह अंसारी, मालिके अश्तर, उस्मान बिन मज़ऊन, सअद बिन मआज़, इब्ने मसऊद तथा मुहम्मद हनफ़िया जैसे लोगों की क़ब्रें भी बक़ी में ही हैं।  इसके अतिरिक्त मदीने के निकट ओहद नामक पर्वत के पास ओहद युद्ध के शहीदों की क़ब्रे हैं जिनकी संख्या 70 बताई गई है।

 

पैग़म्बरे इस्लाम (स) के मज़ार के दर्शन के लिए आने वाले जानते हैं कि प्रकाश की प्राप्ति के लिए प्रकाश के केन्द्र के निकट जाना आवश्यक है।  वे इस बात को समझते हैं कि आदर्श लोगों के सम्मान के लिए उनकी क़ब्र के दर्शन करने चाहिए।  इस प्रकार के कार्य से जहां मन को शांति प्राप्त होती है वहीं पर यह परिपूर्णता का भी कारण है।  जब कोई व्यक्ति पैग़म्बरे इस्लाम (स)  या किसी अन्य महापुरूष से निकट होता है तो वह उनके महत्व को समझता है और फिर उनकी शिक्षाओं को अपनाने के प्रयास करता है।

 

हालांकि सऊदी अरब की सरकार ने मक्के और मदीने में बहुत से मज़ारों और पवित्र स्थलों को ध्वस्त कर दिया है किंतु मुसलमानों के निकट उन महापुरूषों का मान-सम्मान अभी भी वैसा ही है जैसा पहले था।  इस्लाम के आरंभिक काल की इमारतें, मुसलमानों के  इतिहास और उनकी संस्कृति एवं सभ्यता की याद दिलाती हैं किंतु बड़े खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि हालिया दशकों में सऊदी अरब की सरकार ने इस्लामी काल की बहुत सी इमारतों को तोड़कर व्यवहारिक रूप में यह सिद्ध कर दिया है कि वह इस्लामी निशानियों को मिटाने के प्रयास में है।  सऊदी अधिकारी, धार्मिक पर्यटन उद्योग में विकास के नाम पर एतिहासिक इस्लामी इमारतों को तोड़ रहे हैं।  क्या केवल पर्यटन के नाम पर इस्लामी इमारतों का तोड़ा जाना है? निश्चित रूप से हम यदि यह चाहते हैं कि पवित्र नगर मदीने को इस्लामी इतिहास के एक महत्वपूर्ण भाग के रूप में दर्शानों तो हमें वहां पर इस्लामी इमारतों के विध्वंस को रुकवाना होगा।

 

वर्तमान समय में हर उस इमारत को, जिसका संबन्ध प्राचीनकाल से हो, उसकी मरम्मत कराई जाती है।  इस प्रकार से उसे सुरक्षित रखा जाता है।  यह कार्य इसलिए किया जाता है कि उस इमारत की प्राचीनता से विश्व वासियों को परिचित कराया जाए।  यह एसी स्थिति में है कि जब सऊदी अरब की सरकार अबतक बड़ी संख्या में इस्लामी एतिहासिक इमारतों को तोड़ चुकी है।  मक्के और मदीने में मौजूद लगभग 95 प्रतिशत इस्लामी इमारतें तोड़ी जा चुकी हैं।

 

सऊदी अधिकारियों का कहना है कि यह कार्य इसलिए किया जा रहा है कि उन्हीं के कथनानुसार यह मुसलमानों को शिर्क की ओर मोड़ती हैं।  वहाबियों ने मसाजिदे सबआ को तोड़ दिया जो एतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व की स्वामी थीं।  वहाबियों ने उस घर को तोड़ दिया जो ईश्वर के अन्तिम दूत हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे वआलेही वसल्लम का जन्म स्थल था।  इसी प्रकार हज़रत ख़दीजा के घर को भी तोड़ दिया गया।  जिस स्थान पर जंगे बद्र हुई थी उसे अब बड़ी पार्किंग में परिवर्तित कर दिया गया है।  सऊदी अरब की सरकार धार्मिक पर्यटन में विस्तार के  बहाने पवित्र स्थलों को तोड़ रही है।  इस प्रकार से वह वहाबी विचारधारा को फैला रही है।  यह एसी स्थिति में है कि यूनेस्को जैसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने कहा है कि सऊदी अरब में इस्लामी धरोहरों को सुरक्षित रखने के लिए प्रयास किये जाने चाहिए।

आज पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा (स) और उनके साथियों को बीत शताब्दियों का समय गुज़र चुका है किंतु उनकी यादें अब भी मुसलमानों के दिलों में मौजूद हैं।  हाजी पवित्र नगर मदीना पहुंचकर एक प्रकार से इस्लाम के इतिहास को निकट से देखते हैं।  एसे उचित अवसर पर कि जब हाजी पैग़म्बरे इस्लाम के नगर में मौजूद है उचित यह होगा कि वह उनके कुछ कथनों का स्मरण करे।

 

पैग़म्बरे इस्लाम कहते हैं कि हे मुसलमानों एसा न हो कि वह एकता जिसे एकेश्वरवाद पर भरोसे के आधार पर प्राप्त किया गया था, मेरे बाद समाप्त हो जाए।  कुछ लोग एक-दूसरे के शत्रु बन जाएं और अज्ञानता के काल की ओर वापस होने लगें।  मैं तुम्हारे बाद दो चीज़ें छोड़ रहा हूं।  यदि तुम सब उनको पकड़े रहोगे तो कभी भी पथभ्रष्ट नहीं होगे।  उनमें से एक पवित्र क़ुरआन और दूसरे मेरे परिजन हैं।         

 

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

बच्चों के सामने वाइफ की बुराई।
इराक़ संकट में अमेरिका का बड़ा ...
ह़ज़रत अली अलैहिस्सलाम के जीवन की ...
पश्चिमी युवाओं के नाम आयतुल्लाह ...
मोमिन व मुनाफ़िक़ में अंतर।
बैतुल मुक़द्दस के यहूदीकरण की नई ...
हजः वैभवशाली व प्रभावी उपासना
शरारती तत्वों ने मौलाना पर डाला ...
चिकित्सक 6
ईश्वरीय वाणी-3

 
user comment