बहरैन में सरकार विरोधी प्रदर्शन में भाग लेने वालों की गिरफ़्तारियों और उनको नौकरियों से निकाले जाने का क्रम जारी है। बहरैनवासियों ने देश के विभिन्न नगरों में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करके जेलों में बंद महिलाओं सहित समस्त बंदियों की स्वतंत्रता की मांग की। बहरैन के प्रदर्शनकारी अपने धार्मिक नेता शैख़ इदरीस अलअकरी को तुरंत रिहा करने की मांग कर रहे थे। शांति पूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर इस बार भी सुरक्षा बलों ने रबड़ की गोलियां दाग़ी, आंसू गैस के गोले फ़ायर किए और बहरैन के विभन्न क्षेत्रों से कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार कर लिया। सुरक्षा बलों ने सितरा में भी एक फ़ोटोग्राफ़र को गोली मार दी। घायल फोटो ग्राफ़र की स्थिति चिंता जनक है। बहरैनी शासन ने सुधार और गिरफ़्तार लोगों की स्वतंत्रता के वचनों को अभी तक व्यवहारिक नहीं बनाया है और यथावत महिलाओं सहित अब भी गिरफ़्तार लोग स्वतंत्र नहीं हुए हैं। बहरैन के चौदह फ़रवरी नामक गठबंधन ने सरकार को चेतावनी दी है कि महिलाओं और सरकार विरोधी नेताओं के स्वतंत्र न होने की स्थिति में वे अपने प्रदर्शनों को और भी विस्तृत कर देंगा। इसी के साथ आले ख़लीफ़ा शासन की ओर से लोगों को नौकरियों से निकालने का क्रम जारी है। बहरैन के विदेशमंत्रालय से संबंधित आसमह संगठन की पबर्यवेक्षक ज़ैनब अतीया ने सरकारी नौकरियों से निकाले गये लोगों के कष्टों की ओर संकेत करते हुए कहा कि लगभग चार हज़ार चार सौ लोगों को सरकार विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने के कारण नौकरियों से निकाला जा चुका है और इन परिवारों के लगभग 10 हज़ार लोग अत्याचार सहन कर रहे हैं। बहरहाल सुरक्षा बलों के अत्याचारों में जितनी वृद्धि हो रही है जनता का संकल्प भी उतना ही सुदृढ़ होता जा रहा है। जैसा कि चौदह फ़रवरी गठबंधन ने कहा है कि दर्जनों लोगों का ख़ून एक दिन अवश्य रंग लाएगा और आले ख़लीफ़ा शासन भी अपने अंजाम को पहुंचेगा और उसके स्वामी अमरीका और पश्चिम देश उसे किसी भी प्रकार बचा नहीं सकते। यह वास्तविकता सब पर स्पष्ट है कि जनता के आगे किसी की भी नहीं चलती और सरकार को जनता के आगे नतमस्तक होना ही पड़ता है। (एरिब डाट आई आर के धन्यवाद के साथ)
source : abna