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Friday 13th of December 2024
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हज़रत अली की शहादत की वर्षगांठ पर दुनिया एक बार फिर शोकाकुल

ईरान समेत दुनिया भर में शिया मुसलमानों के पहले इमाम और विश्व में न्याय एवं वीरता के प्रतीक हज़रत अली (अ) की शहादत का सोग मनाया जा रहा है। हज़रत अली (अ) लगभग 14 शताब्दियां पूर्व रमज़ान मुबारक की 21वीं तारीख़ को शहीद हो गए थे।
हज़रत अली की शहादत की वर्षगांठ पर दुनिया एक बार फिर शोकाकुल

ईरान समेत दुनिया भर में शिया मुसलमानों के पहले इमाम और विश्व में न्याय एवं वीरता के प्रतीक हज़रत अली (अ) की शहादत का सोग मनाया जा रहा है।
 
 
 
हज़रत अली (अ) लगभग 14 शताब्दियां पूर्व रमज़ान मुबारक की 21वीं तारीख़ को शहीद हो गए थे।
 
 
 
19 रमज़ान को इब्ने मुलजिम ने ज़हर में बुझी हुई तलवार से उस समय हज़रत अली पर हमला किया जब वे कूफ़े की मस्जिद में सुबह की नमाज़ के दौरान सजदे में थे। इस हमले में हज़रत अली (अ) के सिर पर गहरा घाव पड़ गया, जिसके कारण दो दिन बाद अर्थात 21 रमज़ान को उनकी शहादत हो गई।
 
 
 
पैग़म्बरे इस्लाम (स) के उत्तराधिकार हज़रत अली (अ) को उनके साहस, ज्ञान, प्रशासनिक न्याय और पैग़म्बरे इस्लाम से असीम श्रद्धा के लिए जाना जाता है।
 
 
 
21 रमज़ान की रात उन पवित्रतम रातों में से है जिन्हें शबे क़द्र कहा जाता है और मुसलमान रात भर जागकर इबादत करते हैं।
 
 
 
प्रतिवर्ष भारत समेत दुनिया भर में करोड़ों मुसलमान 21 रमज़ान की रात जागरण करके ईश्वर की उपासना के साथ साथ हज़रत अली (अ) की शहादत का ग़म मनाते हैं और अज़ादारी करते हैं।
 
 
 
21 रमज़ान बराबर 8 जुलाई को ईरान में राष्ट्रीय अवकाश है। msm


source : irib.ir
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