यमन पर सऊदी अरब के जारी अतिक्रमण के कारण गिरती स्वास्थय स्थिति पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गहरी चिंता जतायी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता, तारिक़ जसारविक ने मंगलवार को स्वीज़रलैंड के जनेवा शहर में प्रेस कान्फ़्रेंस में कहा कि यमन में आम तौर पर सख़्त हालात हैं। इसका कारण यह है कि स्वास्थ्य क्षेत्र के अनुभवी व्यक्ति हिंसा से कारण इस देश को छोड़ कर जा रहे हैं जिससे अनुभवी स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी हो गयी है।
तारिक़ जसारविक ने कहा कि यमन में 20 फ़ीसद से ज़्यादा स्वास्थ्य सुविधाएं या तो काम नहीं कर रही हैं या आंशिक रूप से काम कर रही हैं। उन्होंने सचेत किया कि फ़न्ड की गंभीर रूप से कमी के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन, यमनी जनता को ज़रूरी स्वास्थ्य सेवा नहीं दे पा रहा है। तारिक़ जसारविक ने कहा, “हमने यमन में आंतरिक स्तर पर विस्थापित लोगों की स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरतों के लिए 15 करोड़ 10 लाख डॉलर के फ़न्ड की अपील की थी लेकिन अब तक सिर्फ़ 2 करोड़ 30 डॉलर का ही फ़न्ड मुहैया हो पाया है।”
यमन में गहराता खाद्य संकट
इस बीच संयुक्त राष्ट्र संघ ने यमन में खाद्य संकट के नियंत्रण से बाहर होने का एलान किया है। संयुक्त राष्ट्र संघ की खाद्य पदार्थ के अधिकार पर विशेष प्रतिवेदक हिलाल अलवार ने कहा कि यमन में 1 करोड़ 30 लाख लोग, मूल खाद्य आपूर्ति के बिना ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं जिनमे 60 लाख लोग गंभीर रूप से खाद्य असुरक्षा का शिकार हैं। उन्होंने कहा कि अगर यमन के अशांत राज्यों में अशांति इसी तरह जारी रही तो और बुरी स्थिति हो जाएगी।
हिलाल अलवार ने कहा कि यमन में बच्चों की हालत ख़ास तौर पर बहुत ख़तरनाक है लगभग साढ़े 8 लाख बच्चे गंभीर कुपोषण का शिकार हैं। उन्होंने सचेत किया कि अगर हालात इसी तरह से बाक़ी रहे तो आने वाले दिनों में यह संख्या 12 लाख तक पहुंच जाएगी।
यमन के 11 प्रांतों अदन, लहिज, सअदा, तइज़, हज्जा, शबूह, बैज़ा, ज़ालेअ, अबयन, मआरिब और अलजौफ़ में स्वास्थ्य सेवा बुरी तरह प्रभावित हुयी है।
ज्ञात रहे यमन पर सऊदी अरब का 26 मार्च से अतिक्रमण जारी है। जिसके दौरान अब तक 2000 के क़रीब बेगुनाह लोग मारे जा चुके हैं।
source : abna