दुनिया में नित नई तरक्क़ी हो रही है साइंस और टेक्नालोजी के प्रतिदिन बढ़ने के नतीजे में हर दिन एक नई खोज और नई बात सामने आती है। अब तक जितनी खोजें हुईं हैं उन में से कुछ इन्सानियत को फ़ायदा पहुचाने वाली हैं, कुछ नुक्सान और कुछ ऐसी हैं जिनसे फ़ाएदा भी है और नुक़सान भी। यह तीनों तरह की चीज़ें हमारी सामने मौजूद हैं। फ़ाएदा पहुचाने वाली चीज़ों में वह दवाएं हैं जो जानलेवा बीमारियों में काम आती हैं
विलायत पोर्टलः दुनिया में नित नई तरक्क़ी हो रही है साइंस और टेक्नालोजी के प्रतिदिन बढ़ने के नतीजे में हर दिन एक नई खोज और नई बात सामने आती है। अब तक जितनी खोजें हुईं हैं उन में से कुछ इन्सानियत को फ़ायदा पहुचाने वाली हैं, कुछ नुक्सान और कुछ ऐसी हैं जिनसे फ़ाएदा भी है और नुक़सान भी। यह तीनों तरह की चीज़ें हमारी सामने मौजूद हैं। फ़ाएदा पहुचाने वाली चीज़ों में वह दवाएं हैं जो जानलेवा बीमारियों में काम आती हैं। नई नई मशीनें जो लोगों को बचाने में अहम रोल अदा करती हैं। इसी तरह बहुत सारी चीज़ें जो इन्सान का बचाव करने वाली हैं। इन्सान को नुक़सान पहुचाने वाली तबाह कर देने वाली चीज़ों में नये से नये तबाही मचा देने वाले हथियार, ड्रग्स और इसी तरह की दूसरी चीजें। वह चीज़ें कि जिनसे फ़ाएदा भी हो और नुक़सान भी, ऐसी चीज़ों में मीडिया से जुड़ी हुई सारी चीज़ें आती हैं। इनमें टीवी, रेडियो और इन्टरनेट भी शामिल हैं। यह इस्तेमाल करने वाले पर है कि वह किस तरह इन चीज़ों का एस्तेमाल करता है। जिस तरह एक छुरी से दोनों काम लिये जा सकते हैं, जो छुरी सब्ज़ी, फल और दूसरी चीज़ों के काटने के काम आती हैं उसी छुरी से गला भी काटा जा सकता है। अब यह इस्तेमाल करने वाले पर है कि वह छुरी से क्या काम लें। आज के ज़माने में इन्टरनेट और मोबाइल दोनों का इस्लेमाल हद से ज़्यादा बढ़ गया है और ख़ास तौर पर नौजवानों में तो इस का चलन आम है, लेकिन हमारे नौजवान इन दोनों चीज़ों को किस तरह इस्तेमाल करते हैं यह उनके इख़्तियार की बात है। यही वजह है कि मोबाइल और इन्टरनेट अच्छी बातों के लिए कम और ग़लत बातों के लिए ज़्यादा इस्तेमाल होता है। इस आर्टिकल में हम दोनों चीज़ों के फ़ाएदे और नुक़सान बताएंगें और साथ उससे बचने की राह भी, ताकि नौजवान नस्ल को बुराई से अवगत कराया जा सके। इन्टरनेट की खोज सबसे पहले अमेरिका में हुई, वहां के डिफ़ेन्स मिनिस्टर की देख रेख में सन् 1970 ई. में ARPANET के नाम से एक नेटवर्क तैयार किया गया जिससे रिसर्च सेन्टर्स आपस में जुड़े रहें लेकिन सन् 1980 ई. तक यह नेटवर्क एक नेशनल नहीं बल्कि इन्टरनेशनल नेटवर्क में बदल गया। सन् 1987 ई. में अमेरिका के नेशनल साइंस फ़ाउन्डेशन ने इन्टरनेशनल लेविल पर रिसर्च सेंटर्स को आपस में जोड़ने और उनमें तालमेल के लिए NSF NET के नाम से एक नेटवर्क बनाया, उस समय इन्टरनेट यूज़ करने वालों की संख्या लगभग दस हज़ार थी जबकि 1989 ई. में यह स़ख्या एक लाख तक पहुंच गई। 1990 ई. में ARPA NET तो ख़त्म हो गया लेकिन इन्टरनेट बाक़ी रहा और उसके बाद हर दिन नए नए नेटवर्क्स् बनते रहे इन सबमें मूइ ने सबसे ज़्यादा तरक़्क़ी की, जिसकी वजह उसकी गिराफ़िक्स है। हर तीन महीने में मूइ की तादाद दो गुनी हो जाती है।
इन्टरनेट के फ़ाएदेः
आज के दौर में इन्टरनेट की ज़रूरत और उसकी वैल्यू से इन्कार नहीं किया जा सकता है, इसके बहुत से फ़ाएदें हैं बशर्ते कि इसका यूज़ सही हो।
1.इसके ज़रिए हम बहुत कम वक़्त में बहुत आसानी से बहुत सी बातों के बारे में जानकारी ले सकते हैं।
2.कम वक़्त और कम ख़र्च में दुनिया के एक सिरे से दूसरे तक जा सकते हैं।
3.अपनी बात को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचा सकते हैं।
4.दोस्तों रिश्तेदारों और दूसरे लोगों से कनेक्ट रह सकते हैं।
इन्टरनेट के नुक़सानातः
इन्टरनेट का इस्तेमाल कई तरीक़े से किया जाता है कभी इस पर सर्फ़िंग की जाती है यानी अलग अलग वेबसाइट्स को खोलकर उनसे जानकारी हासिल की जाती है, कभी इस पर डाउनलोडिंग की जाती है यानी अलग अलग वेबसाइट्स पर मौजूद मैटर, चाहे वह मैटर वीडियो, आडियो या किसी और शक्ल में हो, उसे अपने कम्प्यूटर में SAVE किया जा सकता है और कभी इन्टरनेट पर चैटिंग यानी एक दूसरे से बातचीत की जाती है। यह तीनों ही तरीक़े अच्छे या बुरे दोनों मक़सद के लिए अपनाए जा सकते हैं। पहले तरीक़े को हम किसी मज़हबी, इल्मी या फ़ायदेमंद साइंस की मालूमात हासिल करने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं और ख़राब और बुरी मालूमात वाली साइट्स खोलने के लिए भी। इसी तरह हम अच्छी फ़ाइल्स को भी डाउनलोड कर सकते हैं और बुरी भी, और चैटिंग को भी हम दोनों कामों के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं, चाहे हम अच्छे लोगों से अच्छी बातें करें या बुरे लोगों से ग़लत बातों में अपना वक़्त बर्बाद करें। आजकल इन्टरनेट का इस्तेमाल चैटिंग के लिए ज़्यादा किया जा रहा है। कुछ सोशल साइट्स मौजूद हैं जिनमें हर तरह के लोग एक दूसरे से राब्ता रखते हैं। इन साइट्स में FACEBOOK सबसे ज़्यादा मशहूर है। इस साइट पर लाखों लोग एक दूसरे से राब्ता बनाए रखते हैं लेकिन उसमें अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोग मौजूद हैं अतः यह हमें तय करना है कि हम किस तरह के लोगों से राब्ता बनाएं, लेकिन याद रहे कि इस तरह कि इस तरह की साइट्स पर की जाने वाली चैटिंग या उन पर अपलोड किया जाने वाला डेटा सुरक्षित नहीं होता है। अभी जल्द ही हिन्दुस्तान अख़बार में एक ख़बर छपी थी जिसका मज़मून यह था कि किसी HACKER ने FACEBOOK बनाने वाले का ACCOUNT हैक कर लिया और उसकी निजी ज़िन्दगी से जुड़ी फ़ोटो अपने क़ब्ज़े में ले लीं। इसके अलावा इन्टरनेट के कुछ नुक़सानात इस तरह से हैः- 1.इन्टरनेट का ज़्यादा इस्तेमाल ख़ास तौर से चैटिंग नफ़्सियाती (मानसिक) बीमारियों का सबब बन सकती है इसलिए कि इन्टरनेट एक ख़्याली दुनिया है और जब इन्सान ख़्याली दुनिया का ज़्यादा आदी हो जाए तो वास्तविक दुनिया उसे अजीब लगने लगती है और दोनों में ताल मेल न होने की वजह से इन्सान मायूसी और नफ़्सियाती बीमारियों का शिकार हो जाता है। 2.अख़्लाक़ व ईमान को ख़राब करने वाले कामों में फंस कर इन्सान की दुनिया व आख़िरत दोनों ही बर्बाद हो जातें हैं। 3.वक़्त, पैसा और क़ीमती उम्र का बेहतरीन हिस्सा बुरे कामों में बर्बाद हो सकता है। 4.ज़ाती मालूमात व भेद दूसरों तक पहुंचने की वजह से इज़्ज़त जा सकती है या दूसरी समाजी व सियासी मुश्किलें पैदा हो सकतीं हैं। 5.कुछ धोखेबाज़, इन्सान की निजी मालूमात को चुरा कर या किसी दूसरे तरीक़े से हासिल कर के दीन और दुनिया को नुक़सान पहुंचाते हैं मिसाल के तौर पर उनका बैंक एकाउंट मालूम करके उससे मिनटों में लाखो रूपया चोरी कर लेते हैं और किसी को ख़बर भी नहीं होती है। 6.आज कल जवानों में इन्टरनेट के ज़रिए किसी लड़की या लड़के से तालमेल होने के बाद उससे शादी का रिवाज बढ़ गया है जबकि ज़्यादातर देखने में आया है कि जिस तरह हवस को इश्क व मोहब्बत का नाम देकर होने वाली शादियां नाकाम रहती हैं, उसी तरह इन्टरनेट के ज़रिए जोड़ीदार का चुनाव ग़लत साबित होता है। बहरहाल इस तरह के बहुत से नुक़सानात हैं जो इन्टरनेट के इस्तेमाल से होते या हो सकते हैं। इन्टरनेट के इस्तेमाल का सही तरीक़ाः- आज के इस नये ज़माने में इन्टरनेट को ज़िन्दगी से अलग नहीं किया जा सकता है। यह सोचना ग़लत होगा कि इन्टरनेट का इस्तेमाल ही क्यों करें, फिर तो हमें इस सोच के तहत जाने किन किन सोर्सेज़ को छोड़ना पड़ेगा और यह कोई अक़्लमंदी की बात नहीं है। इसके ग़लत इस्तेमाल से बचने व बचाने का सिर्फ़ यही तरीक़ा है कि हम सही इस्तेमाल करें। बच्चों और नौजवानों को होने वाले नुक़सान से बचने के लिए ज़रूरी है कि-
1. हमेशा अपनी ज़रूरत के वक़्त ही नेट का इस्तेमाल करें।
2. इल्मी, मज़हबी, समाजी और कल्चरल जानकारी के लिए ही नेट का इसेतेमाल करें।
3. बेहूदा साइट्स या ऐसे चैट रूम से बचें जिनमें ग़लत तरह के लोग मौजूद हों, ताकि न वक़्त बर्बाद हो और न सोच गंदी हो।
4. अपनी निजी ज़िन्दगी से जुड़ी जानकारी किसी को न दें। गैंर ज़रूरी बातें न करें, इसलिए कि बात करने वाला जासूस भी हो सकता है।
5. लड़कियों को चाहिये कि वह नामहरम लड़कों से और लड़कों को चाहिए कि वह नामहरम लड़कियों से दोस्ती के लिए नेट का इस्तेमाल न करें।
6. नेट पर तरह तरह से पैसे का लालच देने वाले लोगों के धोखे में न आयें। मोबाईलः ज़माने की तरक़्क़ी ने एक और नई चीज़ खोज निकाली है जिसका नाम मोबाईल है। मोबाईल आज हर इन्सान की बुनियादी ज़रूरत बन गया है। जिस तरह इन्सान रोटी, कपड़ा और मकान को अपनी बुनियादी ज़रूरत समझता है ठीक उसी तरह मोबाईल को भी, यानी बग़ैर इसके ज़िन्दगी बसर करना दुश्वार जानता है इसी लिए आज हर इन्सान के हाथों में, चाहे वह अमीर हो या ग़रीब, आलिम हो या जाहिल, छोटा हो या बड़ा मोबाइल नज़र आता है। इसके भी बहुत से फ़ाएदे हैं और साथ ही नुक़सान भी।
मोबाइल के फ़ाएदेः
1. मोबाइल के ज़रिए से एक दूसरे से कान्टैक्ट करने में बहुत आसानी हो जाती है, इन्सान कहीं भी हो, बहुत आसानी से उससे राब्ता किया जा सकता है।
2. कम वक़्त और कम ख़र्च में एक दूसरे को मैसेज भेजा जा सकता है।
3. घर बैठे बहुत सी जानकारी रखी जा सकती है।
4. मोबाइल के ज़रिए इन्टरनेट का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
नुक़सानातः
1. मोबाइल से कुछ ऐसी किरणे निकलती हैं जो बहुत सारी बीमारियों का सबब बनती हैं। अगर इसे शर्ट की जेब में रखा जाए तो इससे दिल की बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है, अगर इसे पैन्ट की जेब में रखा जाए तो इससे जिन्सी बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है, अगर मोबाइल ज़्यादा देर कान में लगाए रखें तो इससे दिमाग़ पर असर पड़ता है।
2. मोबाइल में सेव ख़राब व बेहूदा तस्वीरें, वीडियो, मैसेज, सोच व आदतों को ख़राब करने वाले मैसेज नौजवानों को बर्बादी की डगर पर लगा देते हैं।
3. कभी कभी न चाहते हुए भी इन्सान को राब्ता करना पड़ता है।
4. नौजवान लड़के नामहरम लड़कियों के साथ आसानी के साथ राब्ता क़ाएम कर देतें हैं जिससे वक़्त भी बरबाद होता है और पैसा भी। सबसे बढ़कर किरदार (चरित्र) बरबाद हो जाता है और इसी के चलते ख़ानदान वालों को मुश्किलों व ज़िल्लत का सामना करना पड़ता है।
5. मोबाइल के ज़रिए ही कुछ लोग ऐसे जुर्म करते हैं कि मुजरिम का पता चलाना मुश्किल हो जाता है।
मोबाइल के इस्तेमाल का सही तरीक़ाः-
मोबाइल बज़ाते ख़ुद कोइ बुरी चीज़ नहीं है लेकिन इसे ख़राब ढ़ंग से इस्तेमाल करने पर बुरे नतीजे सामने आते हैं इसलिए हमारी ज़िम्मेदारी यह है कि इसके इस्तेमाल का सही तरीक़ा जानें और अपने नौजवानों को भी वह तरीक़ा बताएं ताकि वह इसके बुरे असर से बच सकें।
1. सिर्फ़ ज़रूरत भर और जाएज़ ज़रूरत के लिए ही इस्तेमाल करें वरना वक़्त, पैसा और किरदार सबकी बर्बादी है।
2. मां बाप की ज़िम्मेदारी यह कि जब तक बच्चा समझदार न हो जाए मोबाइल उसके हवाले न करें। आजकल जैसे ही बच्चा ज़िद करता है मां बाप उसे मोबाइल दे देते हैं जिसके नतीजे में वह ग़लत आदतों का शिकार हो जाता है। अगर किसी मजबूरी के तहत मोबाइल दें भी तो सिर्फ़ ऐसा मोबाइल जिस पर सिर्फ़ फ़ोन आ सकता हो, फिर भी उसे कभी कभी चेक करते रहें कि उस पर किसकी काल आती जाती है, वह किससे बातें करता है और क्या बातें करता है। फ़ोन आने पर अगर वह कहीं अलग बात करने जा रहा है तो उससे कहें कि वह सामने बात करे।
3. अपना मोबाइल नम्बर हर किसी को न दें वरना कोई भी आपको परेशान करने और किसी भी वक़्त फ़ालतू बात करने के लिए काल कर सकता है।
(तिमाही मिस्बाहुल हुदा के शुक्रिये के साथ)
source : wilayat.in