ईरान समेत दुनिया भर के कई देशों की मस्जिदों और इमामबाड़ों में शुक्रवार की रात मस्जिद की मेहराब में नमाज़ की अवस्था में हज़रत अली (अ) पर घातक वार करके गंभीर रूप से घायल किए जाने की वर्षगांठ के अवसर पर शोक सभाएं आयोजित की गईं और रात भर जागकर इबादत की गई।
पैग़म्बरे इस्लाम (स) के दामाद और उत्तराधिकारी हज़रत अली (अ) जब 19 रमज़ान की सुबह सहरी के बाद सुबह की नमाज़ के लिए मस्जिद में पहुंचे और नमाज़ के दौरान जब वे सज्दे में गए तो इब्ने मुल्जिम नामक व्यक्ति ने ज़हर में बुझी तलवार से उनके सिर पर घातक वार किया।
19 रमज़ान की रात इस्लाम के अनुसार, रमज़ान की उन तीन रातों में से एक है, जिसमें रात भर जागकर इबादत करने का अत्यधित सवाब है।
हज़रत अली गंभीर रूप से घायल होने के तीसरे दिन अर्थात 21 रमज़ान की पवित्र रात को शहीद हो गए।
इस अवसर पर दुनिया भर के शिया मुसलमान ईश्वर की इबादत के साथ साथ हज़रत अली (अ) की शहादत का सोग भी मनाते हैं और अज़ादारी करते हैं।
तेहरान में जहां लाखों लोगों ने 19 रमज़ान की पवित्र रात इबादत और अज़ादारी में जागकर गुज़ारी वहीं इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने भी ऐसी ही एक शोक सभा में भाग लिया।
हज़रत अली (अ) संसार की ऐसी विशिष्ट हस्ती हैं जिनका जन्म पवित्र स्थल काबे के अंदर हुआ था और शहादत मस्जिद में।
source : abna24