भारत में जहां पांच राज्यों में विधान सभा चुनावों से पहले प्रचारिक गतिविधियां चरम पर हैं वहीं उत्तर प्रदेश में सुन्नी और शिया एकता फ्रंट ने अपनी रणनीति तय कर ली है।
फ़्रंट के बेनर तले इमामबाड़ा सिब्तैनाबाद हज़रतगंज लखनऊ में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन के खिलाफ शिया व सुन्नी धर्मगुरूओं की एक संयुक्त प्रेस वार्ता आयोजित हुई । प्रेस वार्ता में सहमति के साथ शिया व सुन्नी धर्मगुरूओं ने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन का विरोध किया और कहा कि इन दोनों पार्टियों ने आज तक मुसलमानों का केवल राजनीतिक शोषण किया है, अब समय आ गया है कि मुसलमान एकजुट होकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करें।
सुन्नी और शिया ओलमा ने संयुक्त रूप से बयान दिया कि समाजवादी सरकार में पूरे उत्तर प्रदेश में लगभग 400 सांप्रदायिक दंगे हुए जिसमें बड़े दंगे भी शामिल हैं। इन दंगों में मुसलमानों का भारी जानी व आर्थिक नुकसान भी हुआ । मुजफ्फरनगर दंगों में मुसलमानों के नुकसान का अनुमान 2002 में गुजरात में हुए दंगों से भी कहीं अधिक हे। ओलमा ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में आजादी के समय सांप्रदायिक दंगे हुए मगर मुज़फ्फरनगर में उस समय भी शांति और भाईचारा कायम रहा जबकि पूरी योजना के साथ समाजवादी सरकार ने मुसलमानों और जाटों के बीच जो नफरत का बीज बोया है वह निंदनीय है।
ओलमा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जितने भी दंगे हुए है जैसे मथुरा के कोसी कलां, प्रताप गढ़ के अस्थाना गांव, गोंडा , सीतापुर, बरेली, बहराइच, इटावा, कन्नौज आदि इन सभी में समाजवादी सरकार के करीबी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नजदीकी लोग ही शामिल पाए गए है।
ओलमा ने कहा कि कब्रिस्तान पर सबसे अधिक अवैध कब्जे समाजवादी सरकार में ही होते हैं ,वक्फ के विनाश के लिए यही समाजवादी सरकार जिम्मेदार है। इस सरकार ने मुसलमानों से किए गए वादों को पूरा नहीं किया यह दुखद है। ओलमा ने कहा कि समाजवादी पार्टी का दावा है कि उन्होंने सभी दागदार छवि के लोगों, माफियाओं को पार्टी से निकाल दिया है और दूसरे राजनीतिक दलों में सभी माफिया शामिल हैं जबकि समाजवादी पार्टी में आज भी माफिया और गुंडों की कमी नहीं है जो विधायक भी हैं और मंत्री की कुर्सी पर भी बैठे हुए हैं।
विकास का ढिंढोरा पीट रही समाजवादी सरकार पर कटाक्ष करते हुए ओलमा ने कहा कि अब तक विकास का कोई काम पूरा नहीं हुआ मगर मुख्यमंत्री घूम घूमकर अधूरे कामों का उद्घाटन करके जनता को गुमराह कर रहे हैं।
ओलमा ने कांग्रेस पार्टी पर कड़ा रुख अपनाते हुए कि सांप्रदायिकता की जन्म दाता कांग्रेस ही है ओ आर समाजवादी सरकार उसके नक्शेकदम पर है । ओलमा ने कहा कि कांग्रेस और समाजवादी सरकार ने जितने घाव मुसलमानों को दिए हैं उन पर एक मोटी किताब तैयार हो सकती है। बाबरी मस्जिद में मूर्तियां रखवाने से लेकर मस्जिद विध्वंस तक की सभी जिम्मेदारी कांग्रेस पर ही लागू होती है, कांग्रेस द्वारा कराए गए सांप्रदायिक दंगों की एक लंबी सूची है। दंगों के बाद कांग्रेस ने जांच के लिए आयोग तो बहुत बनाए मगर आज तक किसी आयोग की रिपोर्ट पर अमल नहीं हो सका और न मुसलमानों को मुआवजा दिया गया।
ओलमा ने कहा कि इस गठबंधन का विरोध करना चाहिए ताकि दोनों पार्टियों के चेहरों से दोहरी नकाब उतर सके, इस चुनाव में मुसलमान एकजुट होकर इस गठबंधन को विफल बनाएँ और ऐसी पार्टी को सत्ता की बागडोर सौंपें जो उनके विकास और कल्याण के लिए काम करने का वादा करे।
प्रेस वार्ता में मौलाना कल्बे जवाद नक़वी,मौलाना हसनैन बकाई, अल इमाम वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री इमरान हसन, मौलाना सालिम मिफताही, मौलाना फैज़ शेरवानी, मौलाना रज़ा हुसैन, मौलाना हबीब हैदर, मौलाना शबाहत हुसेन, मौलाना फीरोज़ हुसेैन और अन्य शिया व सुन्नी ओलमा शामिल हुए।