यह बड़ा बा-बरकत दिन है! शेख़ ने मिस्बाह में फ़रमाया है की ईस रोज़ ईमाम हुसैन (अस:) की विलादत हुई, ईमाम अस्करी (अ:स) के वकील क़ासिम बिन अल-हमादानी की तरफ़ से फ़रमान जारी हुआ की जुमारात 3 शाबान क़ो ईमाम हुसैन (अस:) की विलादत बा-सआदत हुई है! बस ईस दिन का रोज़ा रखो और यह दुआ पढ़ो :
اَللَّهُمَّ إِنِّي اسئلكلُكَ بِحَقِّ ٱلْمَوْلُودِ فِي هٰذَا ٱلْيَوْمِ ٱلْمَوْعُودِ بِشَهَادَتِهِ قَبْلَ ٱسْتِهْلالِهِ وَوِلادَتِهِ بَكَتْهُ ٱلسَّمَاءُ وَمَنْ فِيهَا وَٱلارض وَمَنْ عَلَيْهَا وَلَمَّا يَطَالابَتَيْهَا قَتِيلِ ٱلْعَبْرَةِ وَسَيِّدِ ٱلاسْرَةِ ٱلْمَمْدُودِ بِٱلنُّصْرَةِ يَوْمَ ٱلْكَرَّةِ ٱلْمُعَوِّضِ مِنْ قَتْلِهِ انَّ ٱلائِمَّةَ مِنْ نَسْلِهِ وَٱلشِّفَاءَ فِي تُرْبَتِهِ وَٱلْفَوْزَ مَعَهُ فِي اوْبَتِهِ وَٱلاوْصِيَاءَ مِنْ عِتْرَتِهِ بَعْدَ قَائِمِهِمْ وَغَيْبَتِهِ حَتَّىٰ يُدْرِكُوٱ ٱلاوْتَارَ وَيَثْارُوٱ ٱلثَّارَ وَيُرْضُوٱ ٱلْجَبَّارَ وَيَكُونُوٱ خَيْرَ انْصَارٍ صَلَّىٰ ٱللَّهُ عَلَيْهِمْ مَعَ ٱخْتِلافِ ٱللَّيْلِ وَٱلنَّهَارِ اَللَّهُمَّ فَبِحَقِّهِمْ إِلَيْكَ اتَوَسَّلُ وَاسْالُ سُؤَالَ مُقْتَرِفٍ مُعْتَرِفٍ مِمَّا فَرَّطَ فِي يَوْمِهِ وَامْسِهِ يَسْالُكَ ٱلْعِصْمَةَ إِلَىٰ مَحَلِّ رَمْسِهِ اَللَّهُمَّ فَصَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَعِتْرَتِهِ وَٱحْشُرْنَا فِي زُمْرَتِهِ وَبَوِّئْنَا مَعَهُ دَارَ ٱلْكَرَامَةِ وَمَحَلِّ ٱلإِقَامَةِ اَللَّهُمَّ وَكَمَا اكْرَمْتَنَا بِمَعْرِفَتِهِ فَاكْرِمْنَا بِزُلْفَتِهِوَٱرْزُقْنَا مُرَافَقَتَهُ وَسَابِقَتَهُ وَٱجْعَلْنَا مِمَّنْ يُسَلِّمُ لامْرِهِ وَيُكْثِرُ ٱلصَّلاةَ عَلَيْهِ عِنْدَ ذِكْرِهِ وَعَلَىٰ جَمِيعِ اوْصِيَائِهِ وَاهْلِ اصْفِيَائِهِ ٱلْمَمْدُودِينَ مِنْكَ بِٱلْعَدَدِ ٱلإِثْنَيْ عَشَرَ ٱلنُّجُومِ ٱلزُّهَرِ وَٱلْحُجَجِ عَلَىٰ جَمِيعِ ٱلْبَشَرِ اَللَّهُمَّ وَهَبْ لَنَا فِي هٰذَا ٱلْيَوْمِ خَيْرَ مَوْهِبَةٍ وَانْجِحْ لَنَا فِيهِ كُلِّ طَلِبَةٍ كَمَا وَهَبْتَ ٱلْحُسَيْنَ لِمُحَمَّدٍ جَدِّهِ وَعَاذَ فُطْرُسُ بِمَهْدِهِ فَنَحْنُ عَائِذُونَ بِقَبْرِهِ مِنْ بَعْدِهِ نَشْهَدُ تُرْبَتَهُ وَنَنْتَظِرُ اوْبَتَهُ آمِينَ رَبَّ ٱلْعَالَمِينَ
अल्लाहुम्मा इन्नी अस'अलुका बी'हक़ क़िल मौलूदी फ़ी हा'ज़ल यौमिल मौ'उदिल बी'शहादती'ही क़ब'लस' तिहालिही व विलादातिही बरकत हुस'समा'उ व मन फ़ीहा वल आरज़ू व मन अलय्हा व लम्मा युता ला बताय'हा क़तीलिल अब्राती व सय्यी'दिल उस्रातिल मम्दूदी बिन'नुसरती यौमल कर'रतिल मु'अव'वज़'इ मिन क़तालिही अन्नल अ'इम्मती मिन नस्लिही वश शिफा'अ फ़ी तुर्बतिही वल फौज़ा मा’अहू फ़ी अव्बा'तीही वल औसिया'अ मिन इतराती'ही बा’दक़ा'इमिहीम व गय्बातीही हत्ता युद्रिकुल अवतारा व यासारुस सारा व यूर'जुल जब्बार व यकूनू खैरा अंसार सल'लल'लाहू अलय्हीम मा'अख़'तिलाफिल लैली वन नहार अल्लाहुम्मा फ़-बी'हक़'किहिम इलायका अतावास'सालू व अस'अलु'सुवाला मुक'तरिफिन मुआ’तरिफिन मिम्मा फर्रत’अ फ़ी यौमिही व अम्सिही यस'अलुकल इस’मता इला मह’अल्ली रमसिही अल्लाहुम्मा फ़'सल्ली अला मुहम्मदीन व इतरातिही वह'शुरना फ़ी ज़ुमरा'तीही व बव'वी'ना मा'अ’हु दारल करामाती व मह’अल्लाल इक़ामाह अल्लाहुम्मा व कमा अकरम'तना बी'मारिफतिही फ़'अक्रिमना बी'ज़ुल्फतिही वर'ज़ुक्ना मुरा'फक़ता'हु व साबी'कतहु वज'अल्ना मिम्मन यूसल'लिमु ली'अम्रिही व युक'सिरुस’सलाता अलय्ही इन्दा ज़िक्रिही व अला जमी'ई औसिया'इही व अहली असफ़िया'इहिल मम्दूदीना मिनका बी'अदादिल इसना अशरण नुजूमिज़ ज़ुहरी वल हुजाजी अला जमी'इ’ल बशर अल्लाहुम्मा वहब लना फ़ी हा'ज़ल युमी खैरा मौहिबतींन वन—जिह’लना फ़ीही कुल्ला तालिबतींन कमा वहब'तल हुसैना ली'मुहम्मदीन जिद'दिही व अ’अद’अ फुत’रुसू बी'महदिही फ़'नह’नु अ’आ—ईद’ऊना बी'क़ब्रिही मिन बा’दिही नश'हदू तुरबा'तहु व नन'ताज़िरू अव्बाताहू अमीन रब्बल'आलिमीन
अनुवादः ऐ माबूद! बेशक मै तुझ से सवाल करता हूँ आज के दिन, पैदा होने वाले मौलूद के वास्ते से,के जिस के पैदा होने और दुन्या में आने से पहले ईस से शहादत का वादा लिया गया तो इसपर आसमान रोया,और जो कुछ इसमें है और ज़मीन और जो कुछ इसपर है रोये, जबकि इसने मदीने की ज़मीन पर क़दम न रखा था वो गिरया वाला शहीद और कामयाब व कामरान ख़ानदान का सैय्यद व सरदार है रज'अत के दिन यह इसकी शहादत का बदला है की पाक अ'ईम्मा (अ:स) ईस की औलाद में से हुए इसकी ख़ाके क़ब्र में शिफ़ा है और इसकी बाज़'गुज़श्त में कामयाबी, इसी के लिये है और औसिया इसी की औलाद में से हैं,के इसमें से क़ायेम ग़ैबत खत्म होने के बाद वो अपने खून का बदला और इंतकाम लेकर तलाफ़ी करने वाले ख़ुदा क़ो राज़ी करेंगे और बेहतेरीन मददगार साबित होंगे और दरूद हो ईन सब पर जब तक रात दिन आते जाते रहे, ऐ माबूद ईन का हक़ जो तुझ पर है, इसे वसीला बनाता हूँ और सवाल करता हूँ अपने गुनाह तस्लीम करने वाले की तरह आज के दिन और गुज़री हुई रात में तो वो सवाल करता है अपनी मौत के दिन तक के लिये ऐ माबूद! बस हज़रत मोहम्मद (स:अ:व:व) और इनके ख़ानदान (अ:स) पर रहमत नाज़िल फ़रमा और हमें इनके गिरोह में शामिल फ़रमा और हमें बुज़ुर्गी वाले घर और जाए क़याम के सिलसिले में इनके साथ जगह दे! ऐ माबूद! जैसे तुने इनकी मग्फेरत के साथ हमें इज़्ज़त दी इसी तरह इनकी नज़दीकी से भी नवाज़ और हमें इनकी रहनुमाई अता कर, और इनकी हमराही नसीब फ़रमा
हमें ईन लोगों में क़रार दे जो इनका हुकुम मानते और इनके ज़िक्र के वक़्त ब'कसरत (ज़्यादा से ज़्यादा) दरूद भेजते हैं और इनके सारे जा'नशीनों पर और बर'गज़ीदा अहले ख़ानदान पर जिनकी तादाद (गिनती) क़ो तुने बारह तक पूरा फ़रमाया है जो चमकते हुए सितारे हैं और वो तमा इंसानों पर ख़ुदा की हुज'जतें हैं ऐ माबूद! आज के दिन हमें बेहतरीन अताओं से सरफ़राज़ फ़रमा, और हमारी सभी हाजात पूरी करदे, जैसे तुने हुसैन (अ:स) के नाना हज़रत मोहम्मद (स:अ:व:व) क़ो खुद हुसैन (अ:स) अता फ़रमाये थे और फितरुस ने इनके गहवारे (झूले) की पनाह ली, बस हम इनके रौज़े की पनाह लेते हैं, इनके बाद अब हम इनके रौज़े की ज़्यारत करते हैं, और इनकी रज'अत के मुन्तज़िर हैं, ऐसा ही हो ऐ जहानों के पालने वाले!
इसके बाद दुआए ईमाम हुसैन (अ:स) पढ़ें जो इन्होने रोज़े आशूरा में उस वक़्त पढ़ी थी जब वो दुश्मनों से घिरे हुए थे!
اَللَّهُمَّ انْتَ مُتَعَالِي ٱلْمَكَانِ عَظِيمُ ٱلْجَبَرُوتِ شَدِيدُ ٱلْمِحَالِ غَنِيٌّ عَنِ ٱلْخَلاَئِقِ عَرِيضُ ٱلْكِبْرِيَاءِ قَادِرٌ عَلَىٰ مَا تَشَاءُ قَرِيبُ ٱلرَّحْمَةِ صَادِقُ ٱلْوَعْدِ سَابِغُ ٱلنِّعْمَةِ حَسَنُ ٱلْبَلاَءِ قَرِيبٌ إِذَا دُعِيتَ مُحِيطٌ بِمَا خَلَقْتَ قَابِلُ ٱلتَّوْبَةِ لِمَنْ تَابَ إِلَيْكَ قَادِرٌ عَلَىٰ مَا ارَدْتَ وَمُدْرِكٌ مَا طَلَبْتَ وَشَكُورٌ إِذَا شُكِرْتَ وَذَكُورٌ إِذَا ذُكِرْتَ ادْعُوكَ مُحْتَاجاً وَارْغَبُ إِلَيْكَ فَقِيراً وَافْزَعُ إِلَيْكَ خَائِفاً وَابْكِي إِلَيْكَ مَكْرُوباً وَاسْتَعِينُ بِكَ ضَعِيفاً وَاتَوَكَّلُ عَلَيْكَ كَافِياً احْكُمْ بَيْنَنَا وَبَيْنَ قَوْمِنَا بِٱلْحَقِّ فَإِنَّهُمْ غَرُّونَا وَخَدَعُونَا وَخَذَلُونَا وَغَدَرُوٱ بِنَا وَقَتَلُونَا وَنَحْنُ عِتْرَةُ نَبِيِّكَ وَوَلَدُ حَبِيبِكَ مُحَمَّدِ بْنِ عَبْدِٱللَّهِ ٱلَّذِي ٱصْطَفَيْتَهُ بِٱلرِّسَالَةِ وَٱئْتَمَنْتَهُ عَلَىٰ وَحْيِكَ فَٱجْعَلْ لَنَا مِنْ امْرِنَا فَرَجاً وَمَخْرَجاً بِرَحْمَتِكَ يَا ارْحَمَ ٱلرَّاحِمِينَ
अल्लाहुम्मा अन्ता मुता`अलिया अल्मकानी अज़ीमु अल'जबरूति शादीदु अल'मिहआली गनि'युन `अन अल'ख़ला'इक़ी अरीदु अल'किब्रिया'ई क़ादि'रुन अला मा' तशा'उ क़रीबू अल्र'रहमती सादीकु अल'वादी साबिगू अल'नि-मती हसनू अल'बला'ई क़रीबुन ईज़ा दु`ईता मुहीतुन बीमा खलक'ता क़ाबिलू अल्त'तौबती लीमन ताबा इलयका कादिरून `अला मा अरद'ता वा मुद्रिकुन मा तलब्ता वा शकूरून ईज़ा शुकिरता वा ज़ाकूरून ईज़ा ज़ुकिरता अद`उका मुह्ताजन वा अर'ग़बू इलयका फकीरन वा अफज़ा`उ इलयका ख़ा'इफन वा अबकी इलयका मक्रूबन वा असता`ईनू बिका दा`इफन वा अतावक'कलू `अलयका काफियां उह्कुम बय्नाना वा बयना कौमिना बिल'हक़की फ़'इन्नहुम ग़र'रूना वा खज़ा`ऊना वा खज़ालूना वा गज़रू बिना वा क़तालूना वा नहनु `इत्रतु नबी'यिका वा वालादु हबीबिका मुहम्मदी इब्नी `अब्दिल्लाही अल्लज़ी' इस्ता'फै'तहू बिल्र'रिसालती वा'तमन्ताहू `अला वहयिका फ़ज`अल लना मिन अम्रिना फरजन वा मख़'रजन बिरहमतिका या अर'हमर राहिमीना
अनुवादः ऐ माबूद! तू बुलंद्तर मंज़ेलत रखता है, तू बड़े ही ग़लबे वाला है, ज़बरदस्त ताक़त वाला, मख्लूकात से बे-नेयाज़, बेहद व बेहिसाब बड़ाई वाला है, जो चाहे इसपर क़ादिर, रहमत करने में क़रीब, वादे में सच्चा, कामिल नेमतों वाला, बेहतरीन आज़माइश करने वाला है तू क़रीब है जब पुकारा जाए, जिसको पैदा किया तू इसको घेरे हुए है, तू इसकी तौबा क़बूल करता है जो तौबा करे, तू जो इरादा करे इसपर क़ादिर है, जिसे तू तलब करे इसे पालने वाला है, और तेरा जब शुक्र किया जाए तो तू क़द्र करता है, तुझे याद किया जाए तो तू भी याद करता है, मै हाजत मंदी में तुझे पुकारता , और मुफलिसी में तुझ से रग्बत करता हूँ, तेरे खौफ़ से घबराता हूँ और मुसीबत में तेरे आगे रोता हूँ, कमज़ोरी के बा'ईस तुझ से मदद माँगता हूँ, तुझे काफ़ी जान कर तवक्कुल करता हूँ, फैसला कर दे हमारे और हमारी कौम के दरम्यान की इन्होंने हमें फ़रेब दिया और हम से धोखा किया, हमें छोड़ दिया, और बे'वफाई की, और हमें क़त्ल किया, जबकि हम तेरे नबी का घराना और तेरे हबीब मोहम्मद इब्ने अब्दुल्लाह (स:अ:व:व) की औलाद हैं, जिनको तुने तब्लीगे रिसालत के लिये चुना, और इन्हें अपनी वही का आमीन बनाया, बस ईस मामले में हमें कुशादगी और फ़राखी दे अपनी रहमत से, ऐ सब से ज़्यादा रहम वाले
इब्ने अय्याश से रिवायत है की मैंने हुसैन इब्ने अली बिन सुफ्यान क़ो यह कहते हुए सुना है की ईमाम जाफ़र अल-स्सदिक (अ:स) ३ शाबान क़ो ऊपर लिखी हुई दुआ पढ़ते और फ़रमाते थे की यह ईमाम हुसैन इब्ने अली (अ:स) की पाक विलादत का दिन है!