अमरीका ने मध्यपूर्व की अपनी नीतियों की परिधि में पोलैंड की राजधानी वार्सा में एक दो दिवसीय बैठक आयोजित की है जिसका शीर्षक है मध्यपूर्व में शांति और सुलह। यह बैठक बुधवार 13 फ़रवरी को आयोजित हुई। वाशिंग्टन का दावा है कि इस बैठक में भाग लेने के लिए 70 देशों को निमंत्रण दिया गया है।
वार्सा बैठक में दसियों देशों के विदेशमंत्रियों की उपस्थिति के बारे में अमरीकी दावे के बावजूद बहुत सी सरकारों ने घोषणा की कि वह इस बैठक में भाग नहीं लेंगी। अमरीका के विदेशमंत्री माइक पोम्पियो ने इस बैठक के आयोजन के फ़ैसले के समय ही कहा था कि इस बैठक के आयोजन का लक्ष्य, मध्यपूर्व में तथाकथित स्वतंत्रता और शांति बढ़ाना है। उन्होंने इस बैठक का लक्ष्य, ईरान के क्षेत्रीय प्रभावों का मुक़ाबला करना बताया था। माइक पोम्पियो ने कहा था कि इस बैठक में सभी मुद्दों से अधिक ईरान पर ध्यान केन्द्रित रहेगा।
अमरीकी यह सोच रहे थे कि इस बैठक में कुछ देशों को जमा करके ईरान के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय सहमति दिखाएंगे। अमरीका का मुख्य लक्ष्य, इस बैठक को ईरान की क्षेत्रीय उपस्थिति के विरुद्ध बनाना है।
इन सबके बावजूद इस बैठक के बारे में गुट 4+1 के सदस्य देशों की प्रतिक्रिया से पता चलता है कि वाशिंग्टन को अपने इस लक्ष्य की प्राप्ति के मार्ग में बहुत अधिक रुकावटों का सामना है और जैसा कि विदेशमंत्री मुहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने कहा था कि वार्सा बैठक भी विफल होगी। यहां पर यह भी बताना आवश्यक है कि रूस, लेबनान और इराक़ जैसे देशों ने इस बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है।