रोज़े के बहुत अधिक शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ हैं। इस्लाम के महापुरूषों ने रोज़े को शरीर को स्वास्थ्य प्रदान करने वाला, आत्मा को सुदृढ़ करने वाला, पाश्विक प्रवृत्ति को ...
तारीख़ों से पता चलता है कि मंसूर ने इमाम जाफ़रे सादिक़ (अ0) को मुतअदिद बार ज़हर के ज़रिये शहीद कराने की कोशीश की मगर चूकि मशीयते ईज़दी की तरफ़ से अय्यामे हयात बाक़ी थे इसलिये ...
সাত তারিখ ৬১ হিজরির এই দিনে ইয়াজিদ বাহিনীর সেনাপতি ওমর ইবনে সাদ হযরত ইমাম হুসাইন (আ.) এবং তাঁর পরিবার পরিজন ও সঙ্গী সাথীদের জন্য ফোরাত নদীর পানি বন্ধ করে দেয়।সাতই ...
मोहर्रम का दुःखद महीना फिर आ गया। लोग मोहर्रम मनाने की तैयारी करने लगे हैं। मोहर्रम आने पर बहुत से लोग यह सोचने लगते हैं कि आखिर क्या वजह है कि १४ शताब्दियां बीत जाने के ...
सारी प्रशंसा ईश्वर के लिए है जिसने आकाशों और धरती की रचना की और उनमें अंधकार तथा प्रकाश बनाया परंतु काफ़िर, लोगों व वस्तुओं को अपने पालनहार का समकक्ष ठहराते हैं।पवित्र ...
पैग़म्बरे इस्लाम (स) का संपूर्ण जीवन एवं उसका एक एक क्षण अति महत्वपूर्ण तथा विशिष्ट आश्चर्यजनक घटनाओं से भरा हुआ है। इस लिए कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) के कथन न केवल क़ुराने ...
इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने कर्बला की महान घटना के बाद लोगों के मार्गदर्शन का ईश्वरीय दायित्व संभाला। सज्जाद, इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम को एक प्रसिद्ध उपाधि ...
क़ासिम इमाम हसन बिन अली (अ) के बेटे थे और आप की माता का नाम “नरगिस” था मक़तल की पुस्तकों ने लिखा है कि आप एक सुंदर और ख़ूबसरत चेहरे वाले नौजवान थे और आपका चेहरा चंद्रमा की ...
इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम इस दुआ में एक स्थान पर ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहते हैः हे पालनहार! इस स्थिति में कि मेरा मार्गदर्शन तेरे लिए संभव है, पथभ्रष्टता की ओर ...
अगर आज हम अपनी दुनिया और आस-पास के वातावरण में देखें तो हर इंसान को कुछ न कुछ आवश्यकता होती है कुछ ज़रूरत होती है कभी किसी मुश्किल में घिरा होता है तो कभी परिवार की परेशानी ...
इस्लाम चाहता है कि लोगों में क़बूल करने का माद्दा पैदा हो इस लिये ऐब और कमियों के सुनने को तोहफ़े देने की तरह कहा गया है। जो लोग अख़लाक़ी सिफ़ात रखते हैं और लोगों को उनके ...
मनुष्य को बनाने वाले ईश्वर ने उसको जो भी आदेश दिये हैं वे निश्चित रूप से मनुष्य के ही हित में होते हैं चाहे विदित रूप से उसमें हमें अपना कोई नुक़सान नज़र आए। रमज़ान के रोज़े ...
दसवीं मुहर्रम को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने युद्ध के समय भी सोई अंतरात्माओं को जगाने का प्रयास किया। उन्होंने ईश्वरीय मार्गदर्शक होने के अपने कर्तव्य की उस दशा में भी ...
कर्बला में दस मुहर्रम को आशूरा की घटना के बाद सबसे पहले जब इंसान ने इमाम हुसैन (अ.) की क़ब्र की ज़ियारत की वह रसूले ख़ुदा के सहाबी (साथी) जाबिर इब्ने अब्दुल्लाह अन्सारी थे।वह ...
पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान
हे कुमैल, प्रत्येक वर्ग के कुच्छ लोग दूसरे लोगो से बौद्धिक रूप से ऊपर होते है; बस गिरे हुए मानव के संघ जिराह ...
नाम व अलक़ाब (उपाधियाँ)इमामे सज्जाद अलैहिस्सलाम का नाम अली व आपकी मुख्य उपाधि सज्जाद हैं। माता पिताआपके पिता हज़रत इमामे हुसैन अलैहिस्सलाम व आपकी माता हज़रते शहरबानो ...
ख़ानदाने नुबुव्वत का यह चाँद अगर एक तरफ़ आबाई फ़ज़ायल व कमालात का मालिक होने की बेना पर फ़ख्रे अरब है तो दूसरी तरफ़ माँ की अज़मत व जलालत की बेना पर अजम के जाह व हशम का मालिक ...
ऐ गमो अन्दोह मे मेरी पनाहगाह या मफज़ई इन्दा कुरबती يَا مَفْزَعِي عِنْدَ كُرْبَتِيऐ मुश्किलो मे मेरी मदद करने वाले या ग़ौसी इन्दा शिद्दती وَ يَا غَوْثِي عِنْدَ ...
हमने इमाम और इमामत की विशेषताओं के बारे में चर्चा की थी आज भी हम उसी विषय पर चर्चा जारी रखेंगे। कृपया हमारे साथ रहें।
पैग़म्बरे इस्लाम के जीवन का अंतिम समय था उस समय ...
एक नसरानी बूढ़े ने ज़िन्दगी भर मेहनत करके ज़हमतें उठाईं लेकिन ज़ख़ीरे के तौर पर कुछ भी जमा न कर सका, आख़िर में नाबीना भी हो गया। बूढ़ापा, नाबीनाई, और मुफ़लिसी सब एक साथ जमा हो ...