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Sunday 7th of July 2024
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इमाम तक़ी अ.स. का एक मुनाज़ेरा

इमाम तक़ी अ.स. का एक मुनाज़ेरा
इमाम रज़ा अ.स. को शहीद करने के बाद मामून चाहता था कि किसी तरह से इमाम तक़ी अ.स. पर भी नज़र रखे और इस काम के लिये उसने अपनी बेटी उम्मे फ़ज़्ल का निकाह इमाम तक़ी  से करना चाहा।इस बात पर ...

बदकारी

बदकारी
बदकारी की सुरक्षा के लिये इस्लाम ने दो तरह के इंतेज़ामात किये हैं: एक तरफ़ इस रिश्ते की ज़रूरत और अहमियत और उसकी सानवी शक्ल की तरफ़ इशारा किया है तो दूसरी तरफ़ उन तमाम ...

तफ़्सीर बिर्राय के ख़तरात

तफ़्सीर बिर्राय के ख़तरात
हमारा अक़ीदह है कि क़ुरआने करीम के लिए सब से ख़तरनाक काम अपनी राय के मुताबिक़ तफ़्सीर करना है।इस्लामी रिवायात में जहाँ इस काम को गुनाहे कबीरा से ताबीर किया गया है वहीँ यह ...

इमाम ज़ैनुल-आबेदीन अलैहिस्सलाम

इमाम ज़ैनुल-आबेदीन अलैहिस्सलाम
वर्ष ३८ हिज़री क़मरी ५ शाबान को पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेहि व सल्लम के पौत्र इमाम अली बिन हुसैन पैदा हुए जिनकी एक उपाधि सज्जाद भी है। हज़रत इमाम हुसैन ...

अमीरुल मोमिनीन अ. स.

अमीरुल मोमिनीन अ. स.
नाम व उपाधियाँआपका नाम अली व आपके अलक़ाब अमीरुल मोमेनीन, हैदर, कर्रार, कुल्ले ईमान, सिद्दीक़,फ़ारूक़, अत्यादि हैं।माता पिताआपके पिता हज़रतअबुतालिब पुत्र हज़रत अब्दुल ...

हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम

हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम
आशूरा अर्थात दस मुहर्रम के दिन हज़रत अब्बास ने अपने भाइयों को संबोधित करते हुए कहा था कि आज वह दिन है जब हमें स्वर्ग का चयन करना है और अपने प्राणों को अपने सरदार व इमाम पर ...

रोज़ा और रमज़ान का मुबारक महीना

रोज़ा और रमज़ान का मुबारक महीना
क़ुरआने मजीद के सूरए बक़रह की आयत नंबर १८३ में कहा गया हैः हे ईमान लाने वालो, रोज़ा तुम पर वाजिब कर दिया गया है जैसाकि तुम से पहले वालों के लिए अनिवार्य किया गया था ताकि तुम ...

रसूले ख़ुदा(स)की अहादीस

रसूले ख़ुदा(स)की अहादीस
जो व्यक्ति शिक्षा प्राप्ति हेतु एक घंटे के अपमान को सहन नहीं करेगा वह सदैव अज्ञानता के अपमान में ग्रस्त रहेगा। हमारा चाहने वाला वो हैं जो हमारा अनुसरण करे हमारे ...

हजरत फातेमा मासूमा

हजरत फातेमा मासूमा
आप का इस्मे मुबारक फ़ातिमा है! आप का मशहूर लक़ब "मासूमा" है! आप के पिता शियों के सातवें इमाम हज़रत मूसा इब्न जाफ़र (अ:स) हैं और आप की माता हज़रत नजमा ख़ातून हैं, और यही महान स्त्री ...

इमामे सज्जाद अलैहिस्सलाम

इमामे सज्जाद अलैहिस्सलाम
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कर्बला में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का बलिदान। (3)

कर्बला में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का बलिदान। (3)
करबला की लडा़ई मानव इतिहास कि एक बहुत ही अजीब घटना है। यह सिर्फ एक लडा़ई ही नही बल्कि जिन्दगी के सभी पहलुओ की मार्ग दर्शक भी है। इस लडा़ई की बुनियाद तो ह० मुहम्मद मुस्त्फा़ ...

सिलये रहम

सिलये रहम
मनुष्य सहित हर जीवित प्राणी अपनी आधार भूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रयास करता है क्योंकि उसकी आवश्यकताओं के पूरा न होने की स्थिति में चाहे वे आवश्यकताएं भौतिक हों या ...

इमामे हसन असकरी(अ)

इमामे हसन असकरी(अ)
नाम व अलक़ाब (उपाधियाँ)हज़रत इमाम अस्करी अलैहिस्सलाम का नाम हसन व आपकी मुख्य उपाधि अस्करी है।जन्म व जन्म स्थानहज़रत इमाम अस्करी अलैहिस्सलाम का जन्म सन् 232 हिजरी क़मरी मे ...

क़सीदा

क़सीदा
तशनाकामी बेकसी ग़ुरबत फ़रेबे दुश्मनांनोके ख़न्जर ,बारिशे पैकां बलाऐ ख़ूंचकां है दमें शमशीर से भी तेज़ तर राहे जहांहर क़दम इक मरहला है हर नफ़्स इक इम्तेहां ज़िन्दगी ...

हज क्या है?

हज क्या है?
यह जिलहिज का महीना है। यह महीना, मक्का में लाखों तीर्थयात्रियों के एकत्रित होने का काल है जिसमें वे सुन्दर एवं अद्वितीय उपासना हज के संसकार पूरे करते हैं........... यह जिलहिज का ...

प्रकाशमयी चेहरा “जौन हबशी”

प्रकाशमयी चेहरा “जौन हबशी”
जौन बिन हुवैइ बिन क़तादा बिन आअवर बिन साअदा बिन औफ़ बिन कअब बिन हवी (1), कर्बला के बूढ़े शहीदों मे से थे। आप अबूज़र ग़फ़्फ़ारी और इमाम हुसैन (अ) के दास थे। आप अबूज़र ग़फ़्फ़ारी ...

हज़रत फातिमा मासूमा (अ)

हज़रत फातिमा मासूमा (अ)
हज़रत मासूमा का पहली जिल्क़ादा साल 173 हिजरी मे मदीने मे जन्म हुआ.कुरान समाचार (iqna)  इस्फहान शाखा के मुताबिक़ मासूमा ने 1 ज़िल्कादा साल 173 हिजरी मदीने मे आँख खोली,और 10 ...

इमामे हुसैन (अ)

इमामे हुसैन (अ)
माता पिताहज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के पिता हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम व आपकी माता हज़रत फ़तिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा हैं। आप अपने माता पिता की द्वितीय सन्तान ...

हज,इस्लाम की पहचान

हज,इस्लाम की पहचान
    जिस तरह से ईश्वरीय धर्म इस्लाम ने मनुष्य के आत्मिक और आध्यात्मिक आदि पहलुओं पर भरपूर ध्यान दिया है, हज में इस व्यापकता को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता हैजिस तरह से ...

ज़ुहुर या विलादत

ज़ुहुर या विलादत
आज कल शियो के दरमियान मासूमीन अ.स. की विलादत पर लफ्ज़े ज़ुहुर का इस्तेमाल हो रहा है और हम भी इसे एक फज़ीलत समझ कर खुश हो रहे है औऱ हद तो ये है कि बाज़ लोग लफ्ज़े विलादत का ...