पुस्तक का नामः पश्चताप दया का आलंगन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान
इस लेख से पहले दो लेखो मे हमने कुच्छ उदारहण दिये थे कि जिसमे एक महान व्यक्ति का कथन था कि परमेश्वर! मेरे हृदय मे सबसे बड़ी तेरी आज्ञा तुझ से आशा करना है, मेरी ज़बान पर सर्वाधिक मधुर तेरी प्रशंसा है, तथा मेरी दृष्टि से सर्वाधिक अच्छा समय तुझ से भेट करना है। इस लेख मे भी महान पुरषो के कथन प्रस्तुत कर रहे है।
रहस्यवादी व्यक्ति ने कहाः कि इबलीस (शैतान) पाँच कार्यो के कारण दुखि (बदबख्त) हुआः
दोष को स्वीकार नही किया, पाप करने के उपरांत पछताया नही, स्वयं को दोषी नही ठहराया दूसरे शब्दो मे स्वयं की आलोचना नही की, पश्चाताप करने का विचार नही किया तथा ईश्वर की दया से निराश हुआ और ईश्वरी दूत आदम (अलैहिस्सलाम) पाँच कार्यो के कारण सुखद हुए, अपने दोष को स्वीकारा, पाप के उपरांत पछतावा किया, स्वयं को दोषी ठहराया, पश्चताप मे शीघ्रता से काम लिया तथा ईश्वर की दया से निराश नही हुए।[1]
मआज़ के पुत्र ने कहाः भुक्खड़ (पेटू), ताकत और शक्ति अधिक होती है और जिस व्यक्ति की शक्ति अधिक होगी उसकी उत्तेजना (उकसाहट) अधिक होती है, तथा जिस व्यक्ति की उकसाहट अधिक होगी उसके पाप अधिक होते है, जिस व्यक्ति के पाप अधिक होगो उसका हृदय कठोर होता है तथा कठोर हृदय वाला व्यक्ति दुनिया की कठिनाईयो और उसकी चमक दमक मे डूब जाता है।[2]
जारी