पुस्तक का नामः पश्चताप दया का आलंगन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान
ज्ञानी विद्वानो, मार्ग प्राप्तको एवं स्वच्छ दिल विचारको ने नैतिक मुद्दो के विषय मे मूल्यवान पुस्तके लिखी है, तथा आचरण को दो समूहो अच्छा तथा बुरा आचरण मे वर्णित किया है, हेकड़ी अहंकार तथा घमंड का बुरे आचरण, और विनम्रता एवं ख़ाकसारी का अच्छे आचरण के अध्याय मे विस्तृत रुप स्पष्टीकरण किया है।
पाप को मानव के गर्व, तथा पश्चाताप एवं पछतावे को ईश्वर के सामने विनम्रता एवं ख़ाकसारी का उत्पादन (फ़ल) मानते है।
यह बेढंगी (असभ्य) स्थिति शैतान के सामने आयी पवित्र कुरआन के अनुसार वह अभिशाप मे गिरफ्तार हुआ तथा ईश्वर के यहा से निकाला गया, शैतान के घमंड को ईश्वर के आदेश के विरूद्ध जानते है, ईश्वर द्वारा आदम और उनकी पत्नि की पश्चाताप की स्वीकृति, ईश्वर के प्रति उनकी विनम्रता का उत्पाद मानते है, इस संदर्भ मे कहते है। क्योकि घमंड मानव को ईश्वर के यहा से धुतकारने तथा ईश्वर की कृपा से दूर करने का कारण है, घमंड को त्यागना अनिवार्य है, विनम्रता और दयालुता मानव को ईश्वर से निकट करती है तथा मानव को आज्ञाकारिता की ओर आकर्षित करती है एवं मानव को ईश्वर के सामने अपने पापो की क्षमा याचना के लिए विवश करती है और पश्चाताप हेतु क़दम बढाए, अपने अस्तित्व को विनम्रता के साथ ईश्वर के मुक़ाबिल ग्लैमर करना अनिवार्य है तथा ईश्वर की महानता के साथ अपने सर को ज़िल्लत से मिट्टी पर रखे, विनयशीलता और विनम्रता तथा शोकाकुल आँखो के साथ अपने प्रेमी की ओर जाए, और सदैव पापो से दुर रहने का वचन दे तथा विगत की क्षतिपूर्ति करने हेतु उठ खडा हो।
जारी