पुस्तक का नामः पश्चाताप दया का आलंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
रसूले हक़ का कथन हैः
فَإنَّ مَنْ تَواضَعَ للهِ رَفَعَهُ اللهُ وَمَن تَكَبَّرَ خَفَضَهُ اللهُ وَمَن اقْتَصَدَ فِى مَعِيشَتِهِ رَزَقَهُ اللهُ وَمَنْ بَذَّرَ حَرَمَهُ اللهُ وَمَنْ اَكْثَرَ ذِكْرَ المَوْتِ اَحَبَّهُ اللهُ
फ़ाइन्ना मन तवाज़आ लिल्लाहे रफ़अहूल्लाहो वमन तकब्बरा ख़फ़ज़हुल्लाहो वमन इक़तसदा फ़ी मईशतेही रज़क़हुल्लाहो वमन बज़रा हरमहुल्लाहो वमन ज़िकरल मौते अहब्बहुल्लाहो[1]
जो व्यक्ति भगवान के प्रति विनम्रता दिखाए ईश्वर उसको सम्मानित करता है, तथा जो घमंड प्रतीत करता है भगवान उसको अपमानित करता है, और जो संयम से जीवन व्यतीत करता है भगवान उसको आजीविका प्रदान करता है, यदि कोई व्यक्ति जीवन मे अपव्यय करता है तो भगवान के ध्यान से वार्जित हो जाता है, और जो व्यक्ति मौत को बहुत अधिक याद करता है ईश्वर उस व्यक्ति से प्रेम करता है।
ईश्वर ने दाऊद को समबोधित कियाः
يا داوُدُ ! كَما اَنَّ اَقْرَبَ النَّاسِ مِنَ اللهِ المُتَواضِعُونَ ، كَذلِكَ اَبْعَدُ النَّاسِ مِنَ اللهِ المُتَكَبِّرُونَ
या दाऊदो ! कमा अन्ना अक़रबन्नासे मिनल्लाहिल मुतावाज़ेऊना, कज़ालेका अबअदुन्नासे मिनल्लाहिल मुताकब्बेरूना[2]
हे दाऊद ! मनुष्यो मे ईश्वर के अत्यअधिक निकट विनम्र व्यक्ति है तथा अत्यधिक दूर घमंडी व्यक्ति है।
[1] काफ़ी, भाग 2, पेज 122, बाबे तवाज़ो (विनम्रता का अध्याय); मजमूअए वर्राम 2 (वर्राम का संग्रह), भाग 2, पेज 190; बिहारुल अनवार, भाग 72, पेज 126, अध्याय 51, हदीस 25
[2] काफ़ी, भाग 2, पेज 123, बाबे तवाज़ो (विनम्रता का अध्याय), हदीस 11; वसाएलुश्शिया, भाग 15, पेज 272, अध्याय, 28, हदीस 20494; बिहारुल अनवार, भाग 72, पेज 132, अध्याय 51, हदीस 34