पुस्तक का नामः पश्चाताप दया का आलंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
इस लेख से पहले वाले लेख मे यह बात स्पष्ट करने का साहस किया था कि कोई भी व्यक्ति इस दुनिया मे दोषी के रूप मे जन्म नही लेता है। इस संसार मे आने के बाद और अपने चारो ओर प्राकृति को देखकर तथा स्वभाव देखकर प्रभावित होता है तथा गलत मार्ग का चयन करके अपराधी तथा पापी हो जाता है। इस लेख मे आप पापो के उपचार समबंधित बात का अध्ययन करेंगे।
जिस प्रकार उसका शरीर जीवन मे विभिन्न प्रकार के रोगो से पीड़ित होता है, उसी प्रकार उसकी विचार धारणा, मन एवं आत्मा भी गलतीओ से पीडित होती है जिसके कारण अमली एवं नैतिकी पाप करता है, अतः पाप शरीर के रोग की तरह अन्तर्निहित (जन्मजात) नही है।
शारीरिक रोगो का उपचार चिकित्सक द्वारा दी गई औषधी से होता है, विचार धारणा, मन एवं आत्मा के रोगो का उपचार ईश्वर के आदेशो का पालन करने से होता है।
दोषी व्यक्ति अपनी स्थिति के रहस्यवाद, वैध एवं अवैध वस्तुओ को पहचानते हुए, आध्यात्मिक चिकित्सक से संमपर्क तथा उससे निर्देश प्राप्त करने के पश्चात पापो से पश्चाताप हेतु तैयार होता है, तथा ईश्वर की दया और आशा के प्रोत्साहन के साथ अपराध से बाहर आता है, और उस प्रकार पवित्र हो जाता है जैसे माँ के पेट से जन्म लिया है।
पापी इस बात का दावा नही कर सकता कि मै पश्चाताप नही कर सकता, क्योकि जो व्यक्ति अपराध (पाप) करने की क्षमता रखता है निसंदेह वह पश्चाताप करने की क्षमता भी रखता है।
जारी