पुस्तक का नामः पश्चाताप दया का आलंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
हमने इस से पूर्व के लेख की अंतिम पंक्तियो मे यह कहा था कि पापी इस बात का दावा नही कर सकता कि मै पश्चाताप नही कर सकता, क्योकि जो व्यक्ति अपराध (पाप) करने की क्षमता रखता है निसंदेह वह पश्चाताप करने की क्षमता भी रखता है। ये बाते कुरआन से सिद्ध होती है इस लेख मे इस बात का अध्ययन करने को मिलेगा कि जब रोगी चिकित्सक के कहने पर हानि पहुचाने वाले खाघ पदार्थो का सेवन करना बंद कर सकता है तो पाप को भी त्याग सकता है।
हाँ मानव खाने और पीने, आने जाने, बोलने सुनने, विवाह, व्यापार, खेल कूद, योग, यात्रा करने तथा सामाजिक कार्यो मे समक्ष है, यदि चिकित्सक विशेष रोग के कारण उसको बहुत प्रकार के खाघ एंव पेय पदार्थो के सेवन से परहेज़ कराए, और रोगी रोग के जड़ पकड लेने के भय से उन खाघ एंव पेय पदार्थो के सेवन करने से बचता है, मानव जिस पाप तथा जिन सिन मे संदूषित एंव गिरफ़्तार है उससे भी बच सकता है।
ईश्वर के सामने किसी भी दोषी का पश्चाताप पर क्षमता (शक्ति) ना रखने का कोई भी बहाना मान्य नही है, यदि पापी (दोषी) पश्चाताप करने पर क्षमता नही रखता होता तो ईश्वर पापी को पश्चाताप एंव पछतावे हेतु निमंत्रित ना करता।
पापी (दोषी, अपराधी) को इस तत्थ पर आस्था रखना चाहिए कि हर स्थिति मे तथा प्रत्येक मामले मे वह पाप को त्यागने (छोड़ने) की क्षमता रखता है, पवित्र क़ुरआन के छंदो के अनुसार दयालु, कृपालु तथा पश्चाताप स्वीकार करने वाला परमेश्वर, पश्चाताप को स्वीकार करता है तथा उसके पापो को यदि उनकी संख्या रेगिस्तान के बालू के बराबर भी हो तो उनको अपनी दया एंव कृपा की छाया मे क्षमा करता है, और उसके बुरे कर्मो को अच्छा बनाते हुए पापो की अनदेखी करता है।
जारी