पुस्तक का नामः पश्चाताप दया का आलंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
हमने पूर्व के लेख मे स्पष्ट किया था कि परमेश्वर पश्चाताप स्वीकार करने तथा पापी पाप छौड़ने की क्षमता रखता है, पवित्र क़ुरआन के वह छंद जो एक पापी (अपराधी, दोषी) को दया और क्षमा की ख़ुशख़बरी देते है, वह यह भी बताते है कि पापी के लिए पश्चाताप पर क्षमता ना रखने का कोई बहाना भी शेष नही रहता, इसी कारण पापी पर अपने पाप से पश्चाताप करना नैतिक एंव बौद्धिक रूप से तत्काल अनिवार्य है। इस लेख मे आप इस बात का अध्ययन करेंगे कि जो पापी अतीत की क्षतिपूर्ति नही करता उसका परिणाम क्या होगा।
जो पापी अपने पापो की पश्चाताप तथा अतीत की क्षतिपूर्ति हेतु अग्रसर ना हो, और अपने बाहर तथा भीतर को पवित्र ना करे, बह्माड, ज्ञान, बुद्धि, अंतरात्मा, तर्कशास्त्र ने उसकी निंदा की गई है, परलोक मे परमेश्वर ने निश्चित रूप से निंदा की है। क़यामत मे इस प्रकार का पापी दुख एंव खेद, पछतावे तथा अफ़सोस के साथ चिल्लाएगा।
لَوْ أَنَّ لِي كَرَّةً فَأَكُونَ مِنَ المُـحْسِنِينَ
लो अन्ना ली कर्रतन फ़अकूना मिनल मोहसेनीन[1]
यदि मेरे पास धरती पर वापस लौटने की कोई अवसर हो तो मै अच्छे कर्म करने वालो मे से हो जाऊँगा।
ईश्वर उसका उत्तर देता हैः कि
بَلَى قَدْ جَاءَتْكَ آيَاتِي فَكَذَّبْتَ بِهَا وَاسْتَكْبَرْتَ وَكُنتَ مِنَ الْكَافِرِينَ
बला क़द जाअतका आयाती फ़कज़्ज़बता बेहा वस्तकबरता वकुन्ता मिनल काफ़ेरीन[2]
हाँ, निश्चित रूप से मेरे छंद (मेरी आयात) तेरे मार्गदर्शन हेतु तुझ तक आयी थी, तूने उन्हे झुटलाया (इनकार किया) और मेरे आदेश के विपरीत बगावत के मार्ग का चयन किया, और तू नासतिक था।
जारी