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पश्चाताप आदम और हव्वा की विरासत 6

पश्चाताप आदम और हव्वा की विरासत 6

पुस्तक का नामः पश्चाताप दया का आलंग्न

लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान

 

इससे पहले वाले लेख मे हजरत इमाम बाकिर (अलैहिस्सलाम) की रिवायत बयान की थी आप के ज्ञान और बुद्धि मे इज़ाफ़े हेतु दुसरी रिवायत भी प्रस्तुत कर रहे है।

एक दूसरी रिवायत हैः कि हजरत आदम ने महान नामो को अर्श (सिंहासन) पर लिखा हुआ देखा, तो उनके बारे मे पूछा, उनको उत्तर दिया गया किः गरिमा की दृष्टि से ईश्वर के समीप सबसे बेहतरीन प्राणी हैः मुहम्मद, अली, फ़ातेमा, हसन, हुसैन है। आदम ने पश्चाताप स्वीकार होने तथा गरिमा और स्थान के उच्च स्थर के लिए इन नामो की हक़ीक़त से सहारा लिया और इनकी बरकत से आदम की पश्चाताप स्वीकार हुई[1]

हाँ, आदम के इश्क़ और प्रेम के बीज पर ईश्वर के इलहाम के शब्दो की वर्षा हुई, जिसके कारण आदम की आत्मा पर अत्याचार के इक़रार की हरयाली उगी, आदम के कार्य ने मानवीय कुऐ से बाहर निकाल कर प्रार्थना, याचना तथा पश्चाताप के मैदान तक ले आया, उसकी आत्मा की भूमी पर क्षमा का पौधा उगा और उस पर पश्चाताप का फूल खिला।

 

ثُمَّ اجْتَبَاهُ رَبُّهُ فَتَابَ عَلَيْهِ وَهَدَى 

 

सुम्मा इजतबाहो रब्बोहू फ़ताबा अलैहे वा हदा[2]

फ़िर उनके प्रभु ने उसे चुना, और उसकी पश्चाताप को स्वीकार किया, विशेष मार्गदर्शन की पोशाक पहनाई।



[1] मजमउल बयान, भाग 1, पेज 113; बिहारुल अनवार, भाग 11, पेज 157, अध्याय 3

[2] सुरए ताहा 20, छंद 122

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