पुस्तक का नामः पश्चाताप दया का आलंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
इस से पूर्व के लेख मे एक रिवायत बयान की थी जिसका सारांश है कि आदम के इश्क़ और प्रेम के बीज पर ईश्वर के इलहाम के शब्दो की वर्षा हुई, जिसके कारण आदम की आत्मा पर अत्याचार के इक़रार की हरयाली उगी, आदम के कार्य ने मानवीय कुऐ से बाहर निकाल कर प्रार्थना, याचना तथा पश्चाताप के मैदान तक ले आया, उसकी आत्मा की भूमी पर क्षमा का पौधा उगा और उस पर पश्चाताप का फूल खिला। इस लेख मे आप को इमाम सादिक के माध्यम से एक सुंदर और रोचक पश्ताचाप नामे का अध्ययन करेंगे।
इमाम सादिक़ (अलैहिस्सलाम) एक अत्यधिक सुंदर और रोचक पश्चातापनामे के समान टुकड़े मे - पापो से पश्चाताप करना तत्काल और क़ानूनी तथा नैतिक अनिवार्य है – इस प्रकार इशारा करते है, जिन पापो की भरपाई (क्षतिपूर्ति) नही हुई और सच्ची पश्चाताप से उसको समाप्त नही किया गया तो दुनिया मे जीवन के अव्यवस्था और परलोक मे और न्याय के दिन दिव्य एगोनि का कारण हैः ईश्वर के दायित्वो का नष्ट करना, कर्तव्यो को रोकना तथा ईश्वर के हक़ को नष्ट करना जैसे नमाज़, ज़कात, रोज़ा, जिहाद, हज, उमरा, पूर्ण वज़ू, ग़ुस्ल, रात्रि की प्रार्थना, मंत्र का अधिक जपन, सौगंध का प्रायश्चित (कसम का कफ़्फ़ारा), आपत्ति मे पुनः प्राप्ति तथा हक़ीक़त से मुहँ मोड़ना जिनके अदा करने मे वाजिब और वांछनीय मे कमी हो गयी है।
बड़े पापो का करना, आज्ञा का पालन ना करना, पाप करना, बुराईयो का चयन, वासना के साथ मिलना, संक्षिप्त मे प्रत्येक प्रकट तथा गुप्त पाप का जान बूझ कर अथवा अनजाने मे करना।
जारी