पुस्तक का नामः पश्चाताप दया का आलंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
इस से पहले वाले लेख मे आप ने शैतान की विशेषताओ का अध्ययन किया जिसमे कहा गया है कि वह सौगन्ध खाया हुआ और खुल्लम खुल्ला शत्रु, बुराई और फोहशा एंव मुन्किर का आदेश देने वाला, ईश्वर की ओर वार्जित निसबत देने वाला, हैसियत वालो को भयभीत करने वाला कि कही नेक कार्यो मे ख़र्च करने के कारण ग़रीब न हो जाए, मानव को लग़ज़िशो मे डालने वाला, दिग्भ्रमिति मे फ़साने वाला ताकि लोग शालीनता (सआदत) एंव प्रसन्नता से कोसो दूर चले जाए, शराब पीलाने का मार्ग प्रशस्त करने वाला, जुआ खेलने, अवैध शर्त लगाने तथा लोगो के हृदयो मे एक दूसरे के प्रति घृणा और शत्रुता पैदा करने वाला, बुरे कार्य को अच्छा बनाकर प्रस्तुत करने वाला, झूठे वचन देने वाला, मनुष्य मे घमंड पैदा करने वाला, तथा उसका अपमान की ओर धक्का देने वाला, हक़ के मार्ग मे रकावट पैदा करने तथा नरक मे धकैलने वाले कार्यो की ओर दावत देने वाला, पति पत्नि को एक दूसरे से अलग करने वाला, लोगो मे पाप और बुराईयो को मार्ग उपलब्ध करने और उन्हे दुनिया का बंदी बनाने वाला, मनुष्य को पश्चाताप की आशा मे पापो पर उत्तेजित करने वाला, खुदपसंदी इजाद करने वाला, लोभ, पीठ पीछे बुराई करना (ग़ीबत), झूठ एंव काम वासना को प्रोत्साहित करने वाला, खुल्लम खुला पाप करने की ओर प्रेरित करने वाला, गुस्सा और क्रोध को भड़काने वाला। तथा इस लेख मे आप उसकी शेष विशेषताओ के बारे मे अध्ययन करेंगे।
जब तक मनुष्य शैतानो और जिनो के जाल मे फंसा रहता है तबतक वह वास्तविक पश्चाताप नही कर सकता, क्योकि जब तक उसके दिल पर शैतान का शासन रहेगा तो पश्चाताप के पश्चात शैतान दूबारा पाप के लिए प्रोत्साहित कर देगा, और पश्चाताप द्वारा किये गये वादे को तोड़ने और अपनी आज्ञाकारिता करने पर विवश कर देगा।
पश्चाताप करने वाले को चाहिए कि ईश्वर से तौफ़ीक़ मांगते हुए पापो से सदैव परहेज़ करे तथा शैतान से सख्त बेज़ार रहे, ताकि धीरे धीरे इस ख़बीस अस्तित्व के प्रभाव को अपने अस्तित्व से समाप्त कर दे, और उसके शासन को पूर्ण रूप से समाप्त कर दे, ताकि मानव के हृदय मे पश्चाताप की हक़ीक़त शेष रहे, और उस प्रकाशी वचन को अंधकार के आक्रमण तौड़ न सकें।