पुस्तक का नामः पश्चाताप दया का आलंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
इसके तीन चार लेख पहले यह बात बताई थी कि इंसान को तीन चीजो से स्वतंत्र होना पडेगा सर्वप्रथम शैतान है दूसरे नम्बर पर दुनिया है इसके पहले लेख मे दुनिया के बारे मे बताया इस लेख मे हजरत अली के कथन अनुसार दुनिया की विशेषता का अध्ययन करने को मिलेगा।
हजरत अली अलैहिस्सलाम इसी संदर्भ मे कहते हैः
الدُّنْيَا تَغُرُّ وَ تَضُرُّ وَ تَمُرُّ . . .
अद्दुनिया तग़ुर्रो वतज़ुर्रो वतमुर्रो ...[1]
दुनिया घमंड करती है, हानि पहुँचाती है और बीत जाती है।
ईश्वर ने अपने महबूब रसूल को मेराज की रात्रि इस अपेक्षित (मज़मूम) दुनिया मे गिरफ़्तार व्यक्तियो की विशेषताओ के समबंध मे इस प्रकार कहाः दुनियाई लोग वह होते है जिनका खाना, पीना, हंसना, रोना तथा क्रोध अधिक होता है, ईश्वर की कृपा पर कम प्रसन्न होते है, लोगो से कम राज़ी रहते है, लोगो की शान मे बुराई करने के पश्चात खेद व्यक्त नही करते, और ना ही दूसरे की क्षमा को स्वीकार करते है, आज्ञाकारिता के समय आलसी और पाप करते समय वीर और शक्तिमान होते है, उनकी इच्छाए लंबी लंबी होती है, उनकी बातचीत अधिक, नरक की सज़ा का भय कम होता है तथा खाने पीने के समय अधिक प्रसन्न दिखाई देते है।
जारी
[1] नहजुल बलागा 877, हिकमत 415; ग़ेर्रुल हेकम, पेज 135, अद्दुनिया दारुल ग़ोरूर (दुनिया घमंड का घर है), हदीस 2347; रोज़तुल वाएज़ीन, भाग 2, पेज 441, मजलिस फ़ी ज़िकरे दुनिया