पुस्तक का नामः पश्चाताप दया की आलिंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारियान
इसके पूर्व लेख मे हमने दुनिया से समबंधित बाते बताइ कि जब तक मनुष्य दुनिया के चक्कर मे लगा रहेगा उस समय तक वह वास्तविक रुप से पश्चाताप नही कर सकता यदि पश्चाताप कर भी ले तो दुनिया की चमक दमक उसको अपनी ओर आकर्षित करके उसकी की हुई पश्चाताप को ध्वस्त कर देती है। इस लेख मे उस तीसरी चीज को बताया गया है जिस से मनुष्य स्वयं को स्वतंत्र करने के पश्चात ही पश्चाताप करने मे सफलता प्राप्त कर सकता है।
3- विपत्तियाँ (आफ़ात)
ग़लत समपंर्क, बेजा मुहब्बत, आनंद मे अत्यधिक डूब जाना, समाप्त न होने वाली इच्छाए, बेलगाम हवा व हवस, अवैध सेक्स यह सब घातक विपत्तियाँ है यदि यह सब मानव जीवन मे पाइ जाती है तो मनुष्य वास्तविक रूप से पश्चाताप नही कर सकता, इसलिए पश्चाताप करने वाले के लिए आवश्यक है कि वह इन सभी से स्वयं को दूर रखे तथा इन रोगो के उपचार हेतु क़दम उठाए ताकि वास्तविक रूप से पश्चाताप करने का मार्ग खुल जाए।