पुस्तकः पश्चाताप दया की आलिंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
इसके पूर्व के लेखो मे हमने कुच्छ हदीसो का स्पष्टीकरण किया था जो कि पश्चाताप के पाठ से संमबंधित थी अब इस पाठ के अंत मे एक महत्वपूर्ण रिवायत आपके ज्ञान मे वृद्धि हेतु प्रस्तुत कर रहे है।
एक महत्वपूर्ण रिवायत मे हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सललल्लाहो अलैहेवाआलेहि वसल्लम कहते हैः क्या तुम्हे ज्ञान है कि पश्चातापी (अर्थात पश्चाताप करने वाला) कौन है? असहाब (साथीयो) ने उत्तर दियाः हे ईश्वर दूत आप भली प्रकार ज्ञान रखते है, तब हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सललल्लाहो अलैहेवाआलेहि वसल्लम ने कहाः जब कोई व्यक्ति पश्चाताप करे और दूसरो के माली होकूक़ का भुगतान करके उनको राज़ी ना कर ले तो वह पश्चातापी नही है, और जो व्यक्ति पश्चाताप करे परन्तु ईश्वर की पूजा पाठ मे वृद्धि ना करे तो वह व्यक्ति भी पश्चातापी नही है, जो व्यक्ति पश्चाताप करे तथा अवैध माल से बने हुए वस्त्रो को परिवर्तित ना करे वह भी पश्चातापी नही है, जो व्यक्ति पश्चाताप करे परन्तु अपने बात करने का तरीक़े मे परिवर्तन ना लाए वह भी पश्चातापी नही है, जो व्यक्ति पश्चाताप करे किन्तु अपने नैतिक व्यवहार तथा अपनी नियत को परिवर्तित ना करे तो ऐसा व्यक्ति भी पश्चातापी नही है, कोई व्यक्ति पश्चाताप करे तथा अपने हृदय से सच्चाईयो को ना देखे तथा दान करने मे वृद्धि ना करे तो वह व्यक्ति भी पश्चातापी नही है, जो व्यक्ति पश्चाताप करे किन्तु अपनी इच्छाऔ मे कमी ना करे और अपनी ज़बान को सुरक्षित ना रखे तो ऐसा व्यक्ति भी पश्चातापी नही है, जो व्यक्ति पश्चाताप करे किन्तु अपने शरीर से भोजन की अधिक मात्रा को ख़ाली ना करे तो ऐसा व्यक्ति भी पश्चातापी नही है, बल्कि वह व्यक्ति पश्चातापी है जो इन सारी ख़सलतो का पालन करे।[1]
इस रिवायत मे जिन चीज़ो मे परिवर्तित का आदेश दिया गया है उनसे वह वस्तुऐ समझी जाती है जो अवैध मार्ग से प्राप्त की गई हो अथवा अवैध वस्तुओ से संबंधित हो।
[1] जामेउल अख़बार, पेज 188, पैतालिसवा पाठ पश्चाताप के संबंध मे; बिहारुल अनवार, भाग 6, पेज 35, अध्याय 20, हदीस 52 ;मुसतदरकुल वसाएल, भाग 12, पेज 131, अध्याय 87, हदीस 13709