पुस्तक का नामः पश्चाताप दया की आलंग्न
लेखकः आयतुल्ला हुसैन अंसारियान
जिस समय तबूक युद्ध की समस्या आई, पैग़म्बर के तीन सहाबी कआब पुत्र मालिक, मुरारा पुत्र रबि तथा हिलाल पुत्र उमय्या हज़रत मुहम्मद के साथ बातिल के विरूद्ध कुरूक्षेत्र मे जाने के लिए तैयार नही हुए।
उसका कारण उनकी सुस्ती, आलस्य एंव विश्राम के अतिरिक्त कुच्छ और नही था, परन्तु जब इसलामी सेना मदीना से चली गई तो तीनो पैगम्बर के साथ न जाने के कारण शर्मिंदा हुए।
जिस समय पैग़म्बर तबूक का युद्ध करके मदीने वापस लौटे तो यह तीनो व्यक्तियो ने पैग़म्बर के सामने उपस्थित होकर क्षमा मांगी और अपनी शर्मिंदी प्रकट की परन्तु पैग़म्बर ने उनकी एक न सुनी और सभी मुसलमानो को आदेश दिया कि कोई भी मुसलमान इन तीनो व्यक्ति से बात तक न करे।
बात यहा तक पहुंची के उनके परिवार वाले ने भी पैग़म्बर के पास आकर पूछाः कि क्या हम भी इनसे दूर हो जाएं और उनसे बात न करे!
पैग़म्बर ने उनको अनुमति नही दी और कहा तुम लोग भी उनके निकट न जाओ और बात न करो।
जारी