इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि शहीदों की याद को बाक़ी रखना एक दायित्व है।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने सेमनान प्रांत के तीन हज़ारों शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए आयोजित होने वाले सम्मेलन की आयोजन समिति के सदस्यों से सोमवार चार मई को मुलाक़ात की थी। इस मुलाक़ात में वरिष्ठ नेता का संबोधन गुरुवार को इस सम्मेलन के अवसर पर सामने आया है। वरिष्ठ नेता ने अपने संबोधन में कहा है कि शहीदों का बलिदान, इस्लामी क्रांति के लिए एक अमर पूंजी है और उनकी यादों को सुरक्षित रखना एक दायित्व है। आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए की जाने वाली गतिविधियों का लक्ष्य, शहादत के मूल शिक्षाएं अर्थात त्याग व ईमान संबोधकों में गहराई तक पैठ कर जाएं। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने राजनैतिक, आर्थिक, सुरक्षा और सबसे बढ़ कर सांस्कृतिक क्षेत्रों को शत्रुओं से इस्लामी गणतंत्र ईरान के टकराव के मैदान बताया और कहा कि शत्रु एक ख़ास अंदाज़ में लड़ रहा है और हमें उसके हथकंडों की पूरी पहचान और पूरी तैयारी के साथ उसका मुक़ाबला करना चाहिए।
source : abna