21 अगस्त को ईरान के प्रस्ताव पर विश्व मस्जिद दिवस मनाया जाता है। 21 अगस्त सन 1969 को डेनिस माइकल नाम के एक चरमपंथी यहूदी ने मस्जिदे अक्सा में आग लगा दी थी। फिलिस्तीन में स्थित मस्जिदे अक्सा में आग की इस घटना से, मुसलमानों के पहले क़िब्ले को काफी नुक़सान पहुंचा था। आग से पवित्र मेहराब जल गया था और सलाहुद्दीन अय्यूबी का मेंबर जो लकड़ी से बनी विशेष प्रकार की एक दुर्लभ कुर्सी थी जल पर राख हो गया। इस कुर्सी को बिना कीलों और गोंद के बनाया गया था।
इस्लामी सभ्यता में मेंबर उस विशेष प्रकार के आसन को कहते हैं जिस पर पैगम्बरे इस्लाम और उनके बाद इस्लामी शासक मस्जिदों में बैठा करते थे।
इस विशेष प्रकार के मेंबर को नूरुद्दीन ज़ंगी ने बनाया था। यह उस समय की बात है जब मस्जिद अक्सा पर ईसाइयों का क़ब्ज़ा था और नूरूद्दीन जंगी ने यह सोच कर बनाया था कि जब मस्जिद अक्सा स्वतंत्र होगी तो वह यह मेंबर उसमें रखेंगे किंतु मस्जिद अक़्सा की स्वतंत्रता से पूर्व ही उनका देहान्त हो गया जब क्रूसेड युद्ध में सलाहुद्दीन अय्यूबी ने ईसाई सेना को पराजित करके बैतुल मुक़द्दस से बाहर निकाला तो यह मेंबर मस्जिद अक्सा में लाकर रख दिया।
21 अगस्त 1969 की इस आगज़नी में उमर मस्जिद और उसके बगल में स्थित ज़करिया मेहराब भी जल गया। आग से मस्जिद अक्सा के कई खंबे, विभिन्न प्रकार की प्राचीन डिज़ाइनों से सजी छत और दीवारें गिर गयीं और इस्लामी शिल्पकला का नमूना समझी जाने वाली लकड़ी की 48 खिड़कियां राख हो गयीं।
आग इस लिए भी विकराल रूप धारण कर गयी क्योंकि जब मस्जिद अक्सा में आग लगी थी तो इस्राईल के स्थानीय प्रशासन ने क्षेत्र में पानी सप्लाई बंद कर दी थी और फायर ब्रिगेड भी काफी देर से पहुंचा था। इस्राईल के स्थानीय प्रशासन की ओर से फायर ब्रिगेड उस समय पहुंचा जब रामल्लाह और अलखलील जैसे अरब बाहुल्य क्षेत्रों से फिलिस्तीनियों के फायर ब्रिगेड पहुंचकर आग बुझाने में व्यस्त हो चुके थे।
इस्राईल ने कहा था कि आग लगाने वाला एक मानसिक रोगी अमरीकी चरमपंथी ईसाई है किंतु बाद में पता चला कि वह एक चरमपंथी यहूदी था और इस काम में कई अन्य लोगों ने भी उसकी मदद की थी।
21 अगस्त 1969 में जब चरमपंथी यहूदी डेनिस माइकल ने ने मस्जिदे अक़सा को आग लगाई थी तो पूरी इस्लामी दुनिया में इस पर तीखी प्रतिक्रिया सामने आयी थी और विभिन्न देशों में जबरदस्त प्रदर्शन हुए थे और इसी घटना के कारण, इस्लामी सहयोग संगठन, ओआईसी अस्तित्व में आया जिसके सभी इस्लामी देश सदस्य हैं।
सन 1969 के बाद भी सन 1990 , 96 और सन 2000 में भी यहूदियों ने मस्जिदे अक्सा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की, जबकि उसके आसपास सुरंग खोदने का काम लगातार जारी है। इसके अलावा इस्राईल मस्जिदे अक्सा के आस पास जुआघर, शराब खाने आदि बना कर भी इस मस्जिद का अपमान करता रहता है।
ईरान के राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी ने विश्व मस्जिद दिवस के अवसर पर एक सम्मेलन में बोलते हुए मस्जिदे अक्सा को जलाए जाने के दिन की ओर संकेत करते हुए कहा कि मुसलमानों के पहले क़िब्ला को जलाने का मतलब यह था कि इस्राईली सरकार किसी भी मानवीय और सामाजिक सिद्धांत पर बाध्य नहीं है।
ईरान के विदेश मंत्रालय ने भी एक बयान जारी करके कहा है कि ज़ायोनी शासन के इस कृत्य से यह सिद्ध हो गया कि इस्राईल, अतिग्रहणकारी होने के साथ ही साथ किसी भी धर्म के लिए सम्मान में विश्वास नहीं रखता।
source : abna