संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार अधिकारियों ने सऊदी अरब के धर्मगुरुओं की हालिया उस अपील की नैतिक दृष्टि से निंदा की है जिसमें उन्होंने सीरिया में शीयों और ईसाइयों के ख़िलाफ़ लड़ाई का समर्थन करने की बात कही है।
सऊदी अरब के दर्जनों धर्मगुरुओं ने 5 अक्तूबर को एक बयान में सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार असद की सरकार तथा ईरान और रूस जैसे उसके समर्थकों के ख़िलाफ़ लड़ाई का समर्थन करने की अपील की है।
रोयटर्ज़ की रिपोर्ट में सऊदी धर्मगुरुओं के बयान के हवाले से आया है, “सीरियाई सरकार और उसके ईरानी व रूसी समर्थकों के ख़िलाफ़ लड़ाई को हर प्रकार के नैतिक, भौतिक, राजनैतिक और सैन्य समर्थन दो।”
इस बयान में सऊदी धर्मगुरुओं ने सीरिया में इंसानियत के ख़िलाफ़ अपराध करने वाले आतंकियों को पवित्र वीरों की संज्ञा दी जो इन धर्मगुरुओं की नज़र में अरब देशों की रक्षा कर रहे हैं। इसी प्रकार इन आतंकियों का यह कहते हुए समर्थन करने की अपील की है कि अगर वे हार गए तो फिर एक के बाद एक सुन्नी देशों का नंबर आएगा।
जनसंहार को रोकने के विषय पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून के सलाहकार और संयुक्त राष्ट्र की विशेष सलाहकार जेनिफ़र वेल्श ने मंगलवार को बयान में सऊदी अरब के धर्मगुरुओं की इस अपील की निदां की है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिकारियों ने बल दिया कि धर्मगुरुओं को शांति का संदेशवाहक होना चाहिए न कि युद्ध का। इन अधिकारियों ने अपने बयान में पूरी दुनिया के धर्मगुरुओं से अपील की कि वे हर प्रकार की धार्मिक नफ़रत और हिंसा को भड़काने से दूर रहे हैं
source : irib