सऊदी अरब के वरिष्ठ शिया धर्मगुरू शहीद आयतुल्लाह शेख़ बाक़िर निम्र के चालीसवें के कार्यक्रम में हज़ारों लोगों ने भाग लिया। लखनऊ में होने वाले इस कार्यक्रम में सऊदी अरब के ख़िलाफ़ रोष को प्रकट किया गया।
भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के ऐतिहासिक आसफ़ी इमामबाड़े में सऊदी अरब के वरिष्ठ धर्मगुरू शहीद शेख़ बाक़िर निम्र की शहादत के चालीस दिन पूरे होने पर एक शोक सभा का आयोजन किया गया।
आसफ़ी इमामबाड़े में, जिससे बड़े इमामबाड़े के नाम से जाना जाता है, रविवार को हज़ारों लोगों ने शहीद बाक़िर निम्र के चालीसवें के कार्यक्रम में शामिल होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
आयतुल्लाह शहीद बाक़िर निम्र की शोक सभा में हज़ारो की संख्या में शामिल लोगों को संबोधित करते हुए भारत में शिया मुसलमानों के वरिष्ठ धर्मगुरू और इमामे जुमा लखनऊ मौलाना सय्यद कल्बे जवाद ने कहा कि शेख़ बाक़िर निम्र की शहादत दुनिया भर में फैल रही वहाबियत के लिए मौत का संदेश है।
मौलाना कल्बे जवाद ने अपने संबोधन में कहा कि लखनऊ के शहीद प्रेमी लोगों ने उस शहीद के लिए शोक सभा का आयोजन किया है जिसको बड़ी निर्दयता के साथ वर्तमानकाल के यज़ीद आले सऊद ने केवल इसलिए मौत के घाट उतार दिया क्योंकि उन्होंने आले सऊद के अत्याचारों को सहन नहीं किया और देश की अत्याचारग्रस्त नागरिकों के अधिकारों की मांग की थी।
उन्होंने कहा कि शहीद निम्र ने आले सऊद के अत्याचारों और उसके भ्रष्टाचारों को दुनिया के सामने लाने का साहस किया था, जिसके परिणामस्वरूप उनको सऊदी अरब की अत्याचारी सरकार ने मौत के घाट उतार दिया।
इमामे जुमा लखनऊ ने कहा कि इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब भी किसी ने अत्याचारी सरकार या ज़ालिम व्यक्ति के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई है तब-तब अत्याचारियों ने सच्चाई को दबाने का प्रयास किया है।
उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया में वहाबियत इंसानित के लिए नासूर बन गई है। सऊदी अरब के शासक, वहाबियत के मुख्य प्रचारक हैं, जिनके हाथ केवल मुसलमानों के ख़ून से रंगे हुए हैं।
मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि आज हम बहरैन, यमन, सीरिया, और नाइजीरिया या इराक़ में जहां कहीं भी देखें तो हर ओर सऊदी अरब केवल मुसलमानों का ही ख़ून बहा रहा है।
उन्होंने कहा कि आज जिस तरह से वहाबी विचारधारा के लोग एक विशेष समुदाय को निशाना बना रहे हैं उनको यह बात जान लेनी चाहिए कि इमाम हुसैन (अ) के मानने वाले अत्याचारों का डटकर मुक़ाबला करते हैं और अत्याचारियों को ही जड़ से समाप्त कर देते हैं।
मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि शहीद बाक़िर निम्र ने करबला वालों की तरह ज़िल्लत की ज़िन्दगी पर इज़्ज़त की मौत को प्राथमिकता दी। (RZ)
source : irib