ज़ायोनी शासन के मीडिया ने हालिया हफ़्तों में प्रचारिक हथकंडों की मदद से हिज़्बुल्लाह लेबनान के प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह के बारे में यह पता लगाने की कोशिश की कि उन्होंने पिछले एक महीने में कोई भाषण नहीं दिया तो इसका कारण क्या है?
इस्राईली मीडिया ने अपने इन्हीं हथकंडों के तहत यह अफ़वाह फैलाई कि सैयद हसन नसरुल्लाह बहुत बीमार हैं और उनका तेहरान या दमिश्क़ में उपचार चल रहा है जबकि कुछ मीडिया हल्क़ों ने तो सैयद हसन नसरुल्लाह के स्वर्गवास की अफ़वाहें भी फैलाना शुरू कर दिया।
यह इस पूरे हंगामे की तह में जाकर देखा जाए तो साफ़ पता चलता है कि हिज़्बुल्लाह के प्रमुख के बारे में इस्राईल के भीतर जिज्ञासा बढ़ गई है और इस्राईली गलियारों को इस बात की चिंता सता रही है कि कहीं सैयद हसन नसरुल्लाह किसी बड़ी योजना में तो व्यस्त नहीं हैं। इस्राईल में गूगल पर सैयद हसन नसरुल्लाह को सबसे ज़्यादा सर्च किया गया है। इस्राईल के चैनल-12 ने कुछ दिन पहले बताया कि एक दिन एसा गुज़ार जिसमें इस्राईलियों ने सबसे अधिक नसरुल्लाह शब्द को गूगल किया।
जहां कुछ इस्राईली मीडिया संस्थान सैयद हसन नसुरुल्लाह की बीमारी की अफ़वाहें फैला रहे हैं वहीं कुछ अन्य मीडिया संस्थान बड़ी चालाकी से यह ख़बर दे रहे हैं कि सैयद हसन नसरुल्लाह यदि स्वस्थ हैं तो बहुत जल्द टीवी पर नज़र आएंगे और अफ़वाहें फैलाने वालों का मज़ाक़ उड़ाएंगे।
इस्राईली मीडिया की समस्या यह है कि उसे हिज़्बुल्लाह के सामने इस्राईल लगातार कमज़ोर होता दिखाई दे रहा है। इस्राईली नेतृत्व ने लेबनान की सीमा पर खुदाई का काम शुरू किया और दावा किया कि वह हिज़्बुल्लाह की सुरंगे ध्वस्त करने के लिए खुदाई करवा रहा है मगर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस्राईल के इस ड्रामे पर किसी ने कोई ध्यान ही नहीं दिया। इस्राईली अधिकारियों को यह उम्मीद थी कि इस मुद्दे पर ख़ूब हंगामा हो और इस्राईली नेतृत्व की वाहवाही की जाए कि उसने सही समय पर पता लगाकर सुरंगों को नष्ट कर दिया। इस तरह इस्राईल को बग़ैर किसी लड़ाई के ही एक उपलब्धि दिखाने में सफलता मिल जाएगी। मगर इस्राईल के भीतर भी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इस्राईल का यह स्टंट अपना असर नहीं दिखा पाया।
दरअस्ल वर्ष 2006 में ही हिज़्बुल्लाह से होने वाले टकराव में बुरी तरह पराजित होने के बाद इस्राईली नेतृत्व बहुत हाथ पांव मार रहा है कि वह अपनी कोई बड़ी सफलता लोगों के सामने पेश करे ताकि इस्राईल के भीतर रहने वालों का मनोबल बढ़े। मगर इस्राईली अधिकारियों की अब तक की कोशिशों का कोई नतीजा नहीं निकला है।
कुछ अरब मीडिया गलियारों का कहना है कि सैयद हसन नसरुल्लाह की ख़ामोशी भी उनका एक प्रभावशाली स्टैंड है और इस स्टैंड का असर इस्राईल में साफ़ दिखाई दे रहा है। इस्राईल में इस मुद्दे को लेकर हंगामा शुरू हो गया है।
हिज़्बुल्लाह के पास यह बहुत अच्छा अवसर है कि वह अपनी ख़ामोशी से ही शत्रु को व्याकुल कर चुका है।
इस्राईल के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि वह ईरान और हिज़्बुल्लाह ही नहीं ग़ज़्ज़ा पट्टी के फ़िलिस्तीनी संगठनों के सामने भी जो कई साल से इस्राईल के भयानक परिवेष्टन में हैं, अपनी शक्ति का प्रदर्शन नहीं कर सका इसलिए कि ईरान और हिज़्बुल्लाह की मदद से तथा इन संगठनों की अपनी मेहनत से अब यह संगठन इस्राईल से लोहा लेने के लिए पूरी तरह सक्षम हो चुके हैं।
आने वाला समय इस्राईल और उसके घटकों के लिए बहुत कठिन है, इसी लिए वह इस कोशिश में है कि जितनी जल्दी संभव हो दुनिया के अधिक से अधिक देशों से संबंध स्थापित कर ले। मगर टीकाकारों का यह मत है कि इस्राईल के बस की बात ही नहीं है कि वह हालात का रुख़ बदल सके।