लेबनान के जनप्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के महासचिव सय्यद हसन नसरुल्लाह ने लेबनान के भूतपूर्व प्रधान मंत्री रफ़ीक हरीरी की हत्या की जांच के लिए गठित विशेष ट्राइब्यूनल के हालिया निर्णय को लेबनान और हिज़्बुल्लाह पर आक्रमण की संज्ञा दी है। उन्होंने कहा कि रफ़ीक़ हरीरी ट्राइब्यूनल के निर्णय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह निर्णय जारी करवाने के पीछे पश्चिम का लक्ष्य, हिज़्बुल्लाह को आघात पहुंचाना और इससे भी ख़तरनाक लक्ष्य लेबनान में गृह युद्ध को हवा देना तथा विशेष रूप से शीया- सुन्नी विवाद को भड़काना है। हसन नसरुल्लाह ने कहा कि रफ़ीक़ हरीरी ट्राइब्यूनल का निर्णय बहुत पहले आरंभ हो चुकी प्रक्रिया की एक कड़ी है जो वर्ष 2006 में इस्राईल की पराजय के पश्चात सामने आयी है। उन्होंने कहा कि इस ट्राइब्यूनल ने पहले सीरिया और उसके सैन्य अधिकारियों को रफ़ीक़ हरीरी हत्याकांड में आरोपी ठहराया किन्तु जब आरोप ग़लत सिद्ध हो गए तो इस ट्राब्यूनल ने हिज़्बुल्लाह की ओर उंगली उठाई। रफ़ीक़ हरीरी ट्राइब्यूनल ने गत गुरुवार को अपने निर्णय में हिज़्बुल्लाह के चार सदस्यों को रफ़ीक़ हरीरी हत्याकांड का आरोपी ठहराया है। इस ट्राइब्यूनल ने जो भी जानकारियां प्राप्त की हैं उसका स्रोत इस्राईली सूत्र और झूठे गवाह हैं। अमरीका और इस्राईल इस प्रयास में लगे हुए हैं कि असली साक्ष्य सामने न आने पाएं वरना हत्या के मुख्य अपराधियों के चेहरे से नक़ाब हट जाएगी।
लेबनान के जनप्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के महासचिव सय्यद हसन नसरुल्लाह ने लेबनान के भूतपूर्व प्रधान मंत्री रफ़ीक हरीरी की हत्या की जांच के लिए गठित विशेष ट्राइब्यूनल के हालिया निर्णय को लेबनान और हिज़्बुल्लाह पर आक्रमण की संज्ञा दी है।