बार भी उन्होंने मध्यपूर्व के अपने दौरे के दौरान संयुक्त अरब इमारात, ओमान, सऊदी अरब और तुर्की की यात्राएं कीं और इन देशों के अधिकारियों से विचार विमर्श किया।
जेयर्ड कूश्नर ने पिछले दो वर्षों के दौरान मध्यपूर्व विशेषकर फ़िलिस्तीन- इस्राईल तनाव पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रखा। कूश्नर फ़िलिस्तीन-इस्राईल तनाव के लिए डील आफ़ सेन्चुरी योजना पर काम कर रहे हैं और इसे लागू करना चाहते हैं किन्तु दो साल गुज़रने के बावजूद अब तक इसके लागू होने की आधिकारिक घोषणा नहीं कर सके हैं।
योजना का एलान तो नहीं किया गया लेकिन इसके बारे में जानकारियां जान बूझ कर लीक की गईं ताकि प्रतिक्रियाओं का अंदाज़ा लगाया जा सके। एक जानकारी यह लीक होकर आई कि इस योजना के तहत बैतुल मुक़द्दस को हमेशा के लिए इस्राईल की राजधानी बना दिया जाएगा और अमरीका ने बाक़ायदा इसका एलान भी कर दिया और अपना दूतावास तेल अबीब से बैतुल मुक़द्दस स्थानान्तरित कर दिया।
एक जानकारी यह लीक हुई कि पश्चिमी तट के इलाक़े को दो भागों में बांट दिया जाएगा एक भाग जार्डन के तहत संचालित होगा और दूसरा भाग फ़िलिस्तीनियों के पास रहेगा। यह जानकारी भी लीक की गई कि जो फ़िलिस्तीनी अलग अलग देशों में या फ़िलिस्तीन के भीतर शरणार्थी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं उन्हें अपने घर वापस लौटने के अधिकार से हमेशा के लिए वंचित कर दिया जाएगा क्योंकि उनके इलाक़ों पर ज़ायोनी शासन ने ग़ैर क़ानूनी रूप से बस्तियों का निर्माण करके यहूदियों को बसा दिया है।
यहां पर यह कहा जा सकता है कि इस योजना के लागू न हो पाने के कुछ कारण है। न केवल प्रतिरोधकर्ता गुट बल्कि स्वयं फ़िलिस्तीनी प्रशासन भी इस योजना का विरोधी है और यही कारण है कि फ़िलिस्तीनी प्रशासन और वाशिंग्टन के संबंध टूट गये हैं।
इस्लामी जगत का आम जनमत भी इस योजना का विरोधी है क्योंकि यह योजना इस्राईली इच्छाओं और उसके हितों को पूरा करती है, यही कारण है कि इस्राईल से संबंधों को सामान्य करने के बारे में अरब दुनिया में बहुत गंभीर मतभेद पाए जाते हैं। इन हालात के दृष्टिगत वर्तमान समय में कि जब तय यह था कि डील आफ़ सेन्चुरी योजना को जनवरी या उसके बाद फ़रवरी 2019 तक पेश कर दिया जाएगा किन्तु इन दोनों महीनों में न केवल यह कि योजना पेश नहीं हुई बल्कि इसको कई महीने के लिए टाल दिया गया है।