जॉर्डन की राजधानी अम्मान में अरब देशों की संसदों के सम्मेलन में सीरिया के संसद सभापति की मौजूदगी से अरब संघ में सीरिया की वापसी की पृष्टभूमि बड़ी हद तक मुहैया समझी जा रही है।
12 नवंबर 2011 को अरब संघ में सीरिया की सदस्यता क़तर के सुझाव पर स्थगित हुयी थी जिसके बाद इस संघ ने सीरिया के ख़िलाफ़ आर्थिक पाबंदियां लगाने का फ़ैसला किया।
सीरिया संकट के 8 साल गुज़रने के बाद इस देश की व्यवस्था न सिर्फ़ विदेशी शक्तियों और खिलाड़ियों के हस्तक्षेपपूर्ण व्यवहार के ख़िलाफ़ आदर्श बनी, बल्कि सीरियाई संसद सभापति हम्मूदा सबाह के शब्दों में इस देश का आतंकवादी गुटों और उनके समर्थकों के मुक़ाबले में व्यवहार, दुनिया में एक नई व्यवस्था के उदय की शुभसूचना दे रहा है।
88 महीनों के बाद अरब संघ में सीरिया की फिर से वापसी की पृष्टिभूमि मुहैया हुयी है कि जिसका लक्ष्ण सीरियाई संसद सभापति का अम्मान में अरब देशों की संसदों के 29वें सम्मेलन में आमंत्रित होना है।
यद्यपि अरब संघ के शिखर सम्मेलन में सीरिया की मौजूदगी निश्चित नहीं हुयी है, लेकिन इस संघ के सदस्यों के बीच सीरिया को शामिल करने के संबंध में बहुत अधिक मतभेद हैं। सऊदी अरब, यूएई और बहरैन अभी भी अरब संघ में सीरिया की वापसी के लिए पूरी तरह तय्यार नहीं हैं और इसे अपनी ज़मीनी व सैन्य हार के साथ साथ राजनैतिक हार समझते हैं, लेकिन ये विचार और इन के समर्थक देश अरब संघ में अल्पमत में हैं। इसी आधार पर ज़्यादातर देशों के समर्थन से सीरिया के संसद सभापति को अम्मान में अरब देशों की संसदों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया।
ट्यूनीशिया में अरब संघ का तीसवां शिखर सम्मेलन इसी महीने होने वाला है जिसमें सीरिया की वापसी की बहुत अधिक संभावना है।