ईरान और गुट पांच धन एक के बीच 14 जुलाई 2015 को परमाणु समझौता जेसीपीओए हुआ और यह समझौता 16 जनवरी 2016 को लागू हुआ। अमरीकी सरकार ने समझौता लागू होने के समय से ही इस समझौते के लागू होने के मार्ग में रुकावटें खड़ी करना शुरु की ताकि ईरान इस समझौते से आर्थिक लाभ न उठा सके।
अमरीका में ट्रम्प के सत्ता में आते ही यह रुकावटें तेज़ होती गयीं यहां तक कि 8 मई 2018 को अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने इस समझौते का एकपक्षीय रूप से उल्लंघन करते हुए इससे वॉशिंग्टन के निकलने और ईरान पर परमाणु पाबंदियां फिर से लगाने का एलान किया।
अमरीका के इस फ़ैसले की जेसीपीओए के सभी पक्षों ने आलोचना की जिसमें योरोपीय संघ की विदेश नीति प्रभारी फ़ेड्रीका मोग्रीनी भी शामिल हैं। उन्होंने मंगलवार 12 मार्च को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भाषण के दौरान कहा कि हम ईरान के साथ परमाणु समझौते को जारी रखेंगे और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिष्ठा की रक्षा करते हुए इस समझौते का सम्मान करेंगे। मोग्रीनी ने यह बात स्वीकार की कि जेसीपीओए के लागू होने के साथ ही पाबंदियों का हटना इस समझौते का मूल भाग है इसलिए हम पाबंदियों के फिर से लगने की वजह से पैदा मुश्किलों के बावजूद ईरान के आर्थिक हितों की रक्षा की कोशिश करेंगे।
परमाणु समझौते के बचे हुए गुट 4+1 ईरान के ख़िलाफ़ अमरीका की ओर से फिर से लगी पाबंदियों के नकारात्मक असर को ख़त्म करने का उपाय निकालने पर बल दिया। इस परिप्रेक्ष्य में योरोपीय संघ और ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी इस बात पर कटिबद्ध हुए कि ईरान के ख़िलाफ़ पाबंदियों के बेअसर करने के लिए विशेष वित्तीय व्यवस्था पेश करेंगे। योरोप ने ईरान के साथ व्यापार के लिए 31 जनवरी 2019 को आधिकारिक रूप से इन्सटेक्स नामक वित्तीय व्यवस्था का एलान किया। हालांकि इस क़दम का ईरान के ख़िलाफ़ अमरीकी पाबंदियों के असर को ख़त्म करने में बहुत कम प्रभाव रहा है लेकिन अमरीका के मुक़ाबले में योरोप के प्रतिरोध का सूचक समझा जाता है।