तेहरान विश्वविद्यालय में रविवार को इस्लामी जगत के भविष्य को लेकर एक अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ जिसमें देश-विदेश के विचारकों और विद्वानों ने भाग लिया।
तेहरान विश्वविद्यालय में आज 28 अप्रैल को एक अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसका शीर्षक था, The Future of the Islamic World in the Horizon of 2035,” तेहरान में होने वाले इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में ईरानी और विदेशी विचारकों ने भाग लिया। इस सम्मेलन का उद्देश्य इस्लामी जगत की महत्वपूर्ण घटनाओं और परिवर्तनों की पहचान करना है जिसके परिणाम स्वरूप रोडमैप बनाने के लिए यह महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है। संसार के विचारकों का मानना है कि इस्लामी सभ्यता, संसार की अन्य संभ्यताओं को प्रभावित करती रही है। यही कारण है कि वर्चस्ववादी व्यवस्था सदैव से मुसलमानों के बीच मतभेद फैलाकर इस्लामी जगत के महत्व को कम करने में लगी रही है। यह काम आज भी जारी है। इसीलिए वर्तमान स्थिति का मुक़ाबला करने के लिए इस्लामी सभ्यता की क्षमता को पहचानना बहुत ज़रूरी है। इस्लाम के भविष्य को लेकर आयोजित किये जाने वाले अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के सचिव मुहम्मद बाक़र ख़ुरमशाद कहते हैं कि ईरान में इस्लाम की जड़ें बहुत गहरी हैं। यहीं कारण है कि इस्लामी जगत में जो भी घटना घटती है वह निश्चित रूप में ईरान को प्रभावित करती है। यही कारण है कि इस्लामी जगत के भविष्य को समझने में क्षेत्र और ईरान को महत्व हासिल है। इस समय इस्लामी गणतंत्र ईरान, भौगोलिक एतिहासिक, वैज्ञानिक, कूटनीतिक और तकनीकी दृष्टि से मध्यपूर्व में निर्णायक भूमिका निभा रहा है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने इस्लामी क्रांति की सफलता की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर कहा था कि इस्लामी क्रांति, स्वावलंबन के क्षेत्र में दूसरे चरण में प्रविष्ट हो रही है। वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईरान की इस्लामी व्यवस्था ने शून्य से अपना काम आरंभ किया और हर प्रकार की समस्याओं के बावजूद इस्लामी गणतंत्र ईरान, दिन-प्रतिदिन प्रगति के मार्ग पर बहुत तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले 40 वर्षों के दौरान ईस्लामी क्रांति ने कितनी प्रगति की है इसका अनुमान उसी समय लगाया जा सकता है जब यह देखा जाए कि इसी काल अवधि में संसार की अन्य क्रांतियों ने क्या किया जैसे रूस की क्रांति, फ़्रांस की क्रांति और भारत की क्रांति आदि।
इस स्थिति में यह कहा जा सकता है कि अपने राष्ट्रीय हितों की पूर्ति के लिए इस्लामी जगत को क्षेत्रीय एवं वैश्विक स्तर पर इस्लामी सभ्यता की संभावनाओं को समझने की ज़रूरत है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए 28 अप्रैल 2019 को तेहरान विश्वविद्यालय में “The Future of the Islamic World in the Horizon of 2035,” शीर्षक के अन्तर्गत अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।