हम मुस्लमान अक्सर बहाने बनाते है की हमारे पास कुरआन मजीद का तर्जुमा पढने का टाइम नही है। हम अपने रोज़-मर्रा के कामों मे मसरुफ़ है, अपनी पढाई मे, अपने कारोबार मे, वगैरह वगैरह। ...
सानीए ज़हरा (स0) को उम्मुल मसाएब और शरीकुल हुसैन (अ0) कहा जाता है इसकी वजह है के ज़ैनब बिन्ते अली (अ0) अहलेबैत अलैहिस्सलाम और इमाम के दरमियान राबता थीं जिनका एक कान अहले हरम के ...
पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारीयान
ईश्वर पवित्रता एवं सच्चाई के सर्वोत्तम स्तर पर है जबकि मनुष्य झूठा एवं अपवित्र है, और यह न्युनतम स्तर बिना ...
सूरे सजदा पवित्र क़ुरआन के उन चार सूरों में है जिनकी विशेष आयत पढ़ते ही तुरंत सजदा करना अनिवार्य है। वह चार सूरे जिनकी विशेष आयत पढ़ने से सजदा अनिवार्य हो जाता है, इस प्रकार ...
कर्बला के वाक़ये और हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के अक़वाल पर नज़र डालने से आशूरा के जो पैग़ाम हमारे सामने आते हैं, उनको इस तरह बयान किया जा सकता।
पैग़म्बर (स.) की सुन्नत को ...
सूरे माएदा की आयत संख्या 27 से 31 धरती पर पहले मनुष्य व पहले ईश्वरीय दूत हज़रत आदम और उनके दो बेटों में से एक के दूसरे के हाथों क़त्ल किए जाने की घटना की ओर संकेत करती है। आयत ...
इमाम जाफर अल-सादिक़ (अ:स) से नकल हुआ है की जो शख्स चालीस रोज़ तक हर सुबह इस दुआए अहद तो पढ़े तो वोह इमाम (अ:त:फ) के मददगारों में से होगा और अगर वो इमाम (अ:स) के ज़हूर के पहले मर जाता है ...
ऐसे कुछ लोग हैं जो दुनिया के लालची हैं और उन्हों ने अपनी ख़ाहिशात को भी हासिल कर लिया हैं यहाँ तक कि उस काम का अंजाम बद नसीबी और नाकामी है। इसी के साथ ऐसा भी होता है कि कुछ लोग ...
मोहर्रम का दुखद: महीना वह महीना है जिसमें ख़ून ने तलवार पर विजय प्राप्त की। यह महीना पैग़म्बरे इस्लाम के प्राण प्रिय पौत्र हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के एतिहासिक ...
ग़ीबत यानी पीठ पीछे बुराई करना है, ग़ीबत एक ऐसी बुराई है जो इंसान के मन मस्तिष्क को नुक़सान पहुंचाती है और सामाजिक संबंधों के लिए भी ज़हर होती है। पीठ पीछे बुराई करने की ...
पुस्तकः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
जब ईश्वर की दया एंव कृपा ने यह निश्चित कर लिया कि मनुष्य को कुच्छ दिनो हेतु संसार मे भेजे, और उसे सूर्य ...
पवित्र क़ुरआन चमकता हुआ सूर्य है जो अपने प्रकाशमयी मार्गदर्शन से अज्ञानता और अंधकार से मुक्ति दिलाता है और परिपूर्णता तक पहुंचता है। पवित्र क़ुरआन, स्वच्छ व ...
মালেকি মাযহাবের ইমাম ‘মালেক বিন আনাস' বলেছেন : জ্ঞান, ইবাদত ও খোদাভিরুতায় জাফার বিন মুহাম্মাদের চেয়ে শ্রেষ্ঠ কাউকে কোন চোখ দেখেনি, কোন কান শোনেনি এমনকি কোন মানুষের অন্তর ...
भारत में जो क्राइम इस समय सबसे ज़्यादा हो रहा है वह है बलात्कार व सामूहिक बलात्कार। वर्तमान में इसका ग्राफ चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है। इसे रोकने के लिये तरह तरह के उपाय ...
क़ुरआने मजीद सूरए ज़ोमर की आयत क्रमांक 64 से 66 में अनेकेश्वरवाद और एकेश्वरवाद के बारे में पैग़म्बरे इस्लाम को संबोधित करते हुए कहता है। कह दीजिए कि हे अज्ञानियो! क्या तुम ...
आशूरा के महाआंदोलन से मिलने वाले पाठ प्रेरणा के स्रोत हैं। सन् ६१ हिजरी क़मरी में पैग़म्बरे इस्लाम के प्राणप्रिय नाती इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने जो अमर बलिदान दिया है ...
इमाम हसन असकरी (अ) ने फ़रमायाः पाँच चीज़ें मोमिन और शियों की निशानी हैं1. 51 रकअत नमाज़ (रोज़ाना की नमाज़ें, नाफ़ेला और नमाज़े शब)2. ज़ियारते अरबईन इमाम हुसैन (चेहलुम के दिन की ...
१. मुसलमान वह शख़्स है जिसकी ज़बान और जिसके हाथों से मुसलमान महफ़ूज़ (सुरक्षित) रहें।२. हर रंज व ग़म और ख़ुशी व मसर्रत की इन्तेहा (हद) है सिवाय जहन्नमियों के रंज व ग़म की जिसकी ...
अगर हम मुश्किलों और कठिनाईयों में फंसे हैं, अगर हम परेशान हैं, अगर हम पिछड़े हुए हैं, अगर हम कमज़ोर हैं, अगर हम अपने जीवन में ख़ुश नहीं हैं, अगर हमारा जीवन अजीरन बना हुआ है तो ...
मोहर्रम, हुसैन और कर्बला एसे नाम और एसे विषय हैं जो किसी एक काल से विशेष नहीं हैं। पैग़म्बरे इस्लाम का संदेश, आने वाले समस्त कालों के लिए था इसीलिए इमाम हुसैन (अ) इस संदेश ...