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Monday 25th of November 2024
Kalam and Beliefs
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क़ियामत और शफ़ाअत

क़ियामत और शफ़ाअत
हमारा अक़ीदह है कि क़ियामत के दिन पैग़म्बर,आइम्मा-ए-मासूमीन और औलिया अल्लाह अल्लाह के इज़्न से कुछ गुनाहगारों की शफ़ाअत करें गे और वह अल्लाह की माफ़ी के मुस्तहक़ क़रार ...

एतेमाद व सबाते क़दम

एतेमाद व सबाते क़दम
वह लोग सीसा पिलाई हुई दिवार की तरह हैं।सूरः ए सफ़ आयत न. 5नहजुल बलाग़ा में हज़रत अली अलैहिस्लाम का यह क़ौल नक़्ल हुआ हैं-يوم لک و يوم عليکएक रोज़ तुम्हारे हक़ में और दूसरा ...

बक़्रईद, उस महान क़ुरबानी की याद

बक़्रईद, उस महान क़ुरबानी की याद
आज ज़िलहिज्जा महीने की १० तारीख है। आज इस्लामी जगत में बक़रीद मनाई जा रही है। बकरीद महान ईश्वर की इच्छा के समक्ष नतमस्तक होने की ईद है। बकरीद महान ईश्वर से सामिप्य का उत्सव ...

इबादत सिर्फ़ अल्लाह से मख़सूस है

इबादत सिर्फ़ अल्लाह से मख़सूस है
हमारा अक़ीदह है कि इबादत बस अल्लाह की ज़ाते पाक के लिए है। (जिस तरह से इस बारे में तौहीदे अद्ल की बहस में इशारा किया गया है)इस बिना पर जो भी उसके अलावा किसी दूसरे की इबादत करता ...

आसमानी अदयान की पैरवी करने वालों के साथ ज़िन्दगी बसर करना

आसमानी अदयान की पैरवी करने वालों के साथ ज़िन्दगी बसर करना
वैसे तो इस ज़माने में फ़क़त इस्लाम ही अल्लाह का आईन हैं, लेकिन हम इस बात के मोतक़िद हैं कि आसमानी अदयान की पैरवी करने वाले अफ़राद के साथ मेल जोल के साथ रहा जाये चाहे वह किसी ...

अल्लाह का वुजूद

अल्लाह का वुजूद
हमारा अक़ीदह है कि अल्लाह इस पूरी कायनात का ख़ालिक़ है, सिर्फ़ हमारे वुजूद में,तमाम जानवरों में,नबातात में,आसमान के सितारों में,ऊपर की दुनिया में ही नही बल्कि हर जगह पर तमाम ...

क़ुरआने मजीद और अख़लाक़ी तरबीयत

क़ुरआने मजीद और अख़लाक़ी तरबीयत
अख़लाक़ उन सिफ़ात और अफ़आल को कहा जाता है जो इंसान की ज़िन्दगी में इस क़दर रच बस जाते हैं कि ग़ैर इरादी तौर पर भी ज़हूर पज़ीर होने लगते हैं।बहादुर फ़ितरी तौर पर मैदान की ...

सूरए अनफ़ाल की तफसीर

सूरए अनफ़ाल की तफसीर
इब्ने अब्बास के अनुसार, पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने बद्र युद्ध में मुसलमान लड़ाकों के प्रोत्साहन के लिए इनामों की घोषणा की। इस घोषणा के कारण युवा सैनिकों ने गौरवपूर्ण वीरता के ...

तक़िय्येह का फ़लसफ़ा

तक़िय्येह का फ़लसफ़ा
हमारा अक़ीदह है कि अगर कभी इंसान ऐसे मुतस्सिब लोगों के दरमियान फँस जाये जिन के सामने अपने अक़ीदेह को बयान करना जान के लिए खतरे का सबब हो तो ऐसी हालत में मोमिन की ज़िम्मेदारी ...

मुसहफ़े फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा

मुसहफ़े फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा
अहलेबैत (अ) से नक़्ल होने वाली रिवायतों में से कुछ रिवायतों में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा के मुसहफ़ की बात कही गई है, और एक किताब की आपकी तरफ़ निस्बत दी गई है ...

हस्त मैथुन जवानी के लिऐ खतरा

हस्त मैथुन जवानी के लिऐ खतरा
आम तौर से यह बात समझी जाती है कि जवानी में केवल लड़के ही हस्त मैथुन (मुश्त ज़नी) जैसा खतरनाक काम करते हैं जब कि यह गलत है क्योंकि इस बात का सुबूत मौजूद है कि हस्त मैथुन ...

ज़ियारते हज़रत मासूमा-ए-क़ुम (स:अ)

ज़ियारते हज़रत मासूमा-ए-क़ुम (स:अ)
अल्लाहो अकबर X 3 सुभान अल्लाह X 3 अलहम्दो लिल्लाह X 3 अस्सलामो अ’ला आदम सफ़’वातिल्लाहे अस्सलामो अ’ला नूहीन-नबी'य्यिलाहे अस्सलामो अ’ला इब्राहीमा ख़ली'लिल्लाहे अस्सलामो ...

झूठ क्यों नहीं बोलना चाहिए

झूठ क्यों नहीं बोलना चाहिए
आम तौर पर झूठ किसी एक रूहानी कमज़ोरी की वजह से पैदा होता है यानी कभी ऐसा भी होता है कि इंसान ग़ुरबत और लाचारी से घबरा कर, दूसरे लोगों के उसको अकेले छोड़ देने की बुनियाद पर या ...

महासचिव के पद पर बान की मून का पुनः चयन

महासचिव के पद पर बान की मून का पुनः चयन
संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने 63 वर्षीय बान की मून को एक बार फिर पांच वर्षों के लिए राष्ट्र संघ के महासचिव के पद के लिए चुन लिया है। सुरक्षा परिषद के पंद्रह सदस्यों ने भी ...

सुन्नत अल्लाह की किताब से निकली है

सुन्नत अल्लाह की किताब से निकली है
हमारा अक़ीदह है कि कोई भी यह नही कह सकता है कि “कफ़ाना किताबा अल्लाहि ”हमें अल्लाह की किताब काफ़ी है और अहादीस व सुन्नते नबवी (जो कि तफ़्सीर व क़ुरआने करीम के हक़ाइक़ को ...

ज़ीक़ाद महीने के आमाल

ज़ीक़ाद महीने के आमाल
 कुरान में जिन महीनो को हुरमत वाले महीने करार दिया गया है, यह इनमें से पहला महीना है, सैय्यद इब्ने तावूस रावी हैं की ज़ीक़ाद में तंगी दूर होने की दुआ कबूल होती है! इस माह में ...

क़ानूनी ख़ला का वुजूद नही है

क़ानूनी ख़ला का वुजूद नही है
हमारा अक़ीदह है कि इस्लाम में किसी तरह का कोई क़ानूनी ख़ला नही पाया जाता। यानी क़ियामत तक इंसान को पेश आने वाले तमाम अहकाम इस्लाम में बयान हो चुके हैं। यह अहकाम कभी मख़सूस ...

क़ुरआने मजीद ने क्यों दो तरीक़ों यानी ज़ाहिरी और बातिनी तौर पर बयान फ़रमाया है?

क़ुरआने मजीद ने क्यों दो तरीक़ों यानी ज़ाहिरी और बातिनी तौर पर बयान फ़रमाया है?
1. इंसान ने अपनी ज़िन्दगी में जो कि सिर्फ़ दुनियावी और आरेज़ी ज़िन्दगी है, अपनी हयात का ख़ैमा एक बुलबुले की तरह माद्दे (material) से उसका हमेशा वास्ता है।उसके अँदरुनी और बेरुनी ...

क़ौमी व नस्ली बरतरी की नफ़ी

क़ौमी व नस्ली बरतरी की नफ़ी
हमारा अक़ीदह है कि तमाम अँबिया-ए- इलाही मख़सूसन पैग़म्बरे इस्लाम (स.) ने किसी भी “नस्ली” या “क़ौमी” इम्तियाज़ को क़बूल नही किया। इन की नज़र में दुनिया के तमाम इँसान बराबर थे ...

निराशा कुफ़्र है 2

निराशा कुफ़्र है 2
पुस्तक का नामः पश्चताप दया का आलंगन लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान   हमने इस से पूर्व कुरआन के एक छंद कि जिसमे कहा था कि ईश्वर की दया से निराश न हो, नास्तिक व्यक्ति को छोड़कर कोई ...